रायपुर. छत्तीसगढ़ में लगभग सवा लाख शिक्षाकर्मी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। प्रदेश सरकार की नीतियों से शिक्षाकर्मी बेहद नाराज़ हैं। हालांकि माना जा रहा है कि पिछले चुनाव की तरह इस बार भी सरकार चुनाव से कुछ महीने पहले उनकी मांग मान लेगी, भले ही बाद में उस मांग से सरकार पलट जाए और अपना पल्ला झाड़ ले।
गौरतलब है कि 2013 में भी प्रदेश सरकार ने शिक्षाकर्मियों की हड़ताल और आंदोलनों से परेशान होकर 50 हजा़र से अधिक शिक्षाकर्मियों को बर्खास्त कर दिया था। हालांकि बाद में सरकार ने चुनाव को ध्यान में रखते हुए शिक्षाकर्मियों की मांगें मान ली थी।
राज्य सरकार ने पिछले चुनाव के ठीक पहले मई 2013 में शिक्षाकर्मियों को शिक्षकों के बराबर वेतन और भत्ते देने की घोषणा की थी, लेकिन जैसे ही चुनाव निपटे, दिसंबर 2013 में सरकार ने अपना फैसला वापस लेते हुए संशोधन आदेश जारी कर दिया, कि शिक्षाकर्मियों को केवल महंगाई भत्ता ही दिया जाएगा।
इसके साथ ही सरकार ने ये आदेश भी जारी किया, कि जिन शिक्षाकर्मियों को पहले अतिरिक्त भत्तों का भुगतान कर दिया गया है, उनसे अब वसूली की जाए। माना जा रहा है कि इस आदेश के बाद शिक्षाकर्मियों से 40 हज़ार रुपये तक की वसूली की जा सकती है।
इसी के चलते प्रदेश सरकार की शिक्षाकर्मी विरोधी नीतियों को लेकर शिक्षाकर्मी भड़के हुए हैं। उनका कहना है कि शिक्षाकर्मियों के संविलयन और भत्ता कटौती जैसे मुद्दे पर सरकार के खिलाफ होने वाले सांकेतिक प्रदर्शनों के बाद भी अगर सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी, तो फिर राज्य के लगभग सवा लाख शिक्षाकर्मी सड़कों पर उतर कर सरकार को अपनी ताकत का एहसास करवाएंगे।