हर साल भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए और कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज पर शिवजी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं। पुराणों के अनुसार, इस व्रत को देवी पार्वती ने किया था, जिसके परिणामस्वरूप पार्वती जी को भगवान शंकर पति के रूप में प्राप्त हुए थे। इस दिन माता पार्वती की कथा सुनी जाती है। हरतालिका तीज के दिन शिव-पार्वती और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस बार हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा।
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद सुहागिन महिलाएं मां पार्वती और भगवान शिव का स्मरण कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पवित्र स्थान पर शिव जी, मां गौरी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद पूरे विधि-विधान से मंत्रोच्चार के साथ इनकी पूजा करें। पूरी पूजन सामग्री के साथ पूजा करें। माता पार्वती को पूजा में 16 श्रृंगार की सामग्री जरूर चढ़ानी चाहिए। वहीं, शिवजी को धोती और अंगोछा चढ़ाना चाहिए। दूसरे दिन सुहाग का सारा सामान और कोई मीठा व्यंजन 16 की संख्या में बायना स्वरूप अपनी सास, जेठानी या ननद को दक्षिणा के रुपयों के साथ देना चाहिए और चरण स्पर्श कर अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके बाद आप इस व्रत का पारण कर सकते हैं।
बता दें कि शिवजी ने स्वयं माता पार्वती को इस व्रत का महत्व बताया था। शिवजी ने कहा कि तुमने भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मेरी आराधना करके व्रत किया है, उसके फलस्वरूप तुम्हारा मेरे साथ विवाह हुआ। इस व्रत को करने से कुंवारी कन्याओं को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
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