मुखिया के मुखारी – हम विपक्षी – हम तो चुपेचाप…

मुखिया के मुखारी – हम विपक्षी – हम तो चुपेचाप…

समय का चक्र चल रहा ,चाल राजनीति की बदल सलाहें सलाहकारों की अपने पर ही भारी पड़ रही, भारी मन से ही सही मुस्कुरा कर दर्द छुपा लिया ,स्वीकार लिया कि कका वाली पहचान ही ज्यादा अपनों के करीब है, कका में आत्मीयता है, रिश्तो की मिठास है, पाटन के भईया को कका प्रदेश का बनना ही था, क्योंकि उम्र बढ़ेगी तो संबोधन भी बदलेगा और रिश्तो का विस्तार होगा जो आज का भाई कल का कका और परसों नाना दादा बनेगा ।लोकतंत्र में कैसी सामंती व्यवस्था किसान को दाऊ बना किसानों को, अपनों से दूर करने का जो राजनीति छल चल रहा था उस पर उन्होंने अपना पपलू फिट कर दिया। दाऊ हर बनगे अब कका अब फेर उड़ाही तोर धुर्रा। एक तरफ गलतियां सुधारी जा रही आत्मिक संबंध और संबोधन जोड़े जा रहे ।

रस्साकशी के दौर में भी मजबूती से स्थायित्व की ओर कदम बढ़ाए जा रहे। दूसरी तरफ बस एक ही आधार दूसरे की गलतियों पर अपना आधार बढ़ाने की आस है। प्रदेश में ऐतिहासिक बहुमत की सरकार है तो अल्पमत में बेबस ,मौन विपक्ष और उससे भी छोटी पहचान लिए क्षेत्रीय राजनीतिक दल है । जिसके कई माननीय अपना मान बढ़ाने घर वापसी को तैयार हैं । जिनसे अपने घर की टूटन घुटन नहीं सुधारी जा रही वों दूसरे की टूटन में ले रहे मजे ,विघटन में खोज रहे अपने संगठन की मजबूती । सरकार तो चल रही सवाल उनसे पूछे जा रहे और आगे भी पूछे जाएंगे ? पर क्या विपक्षियों को सवालों से अभयदान दे देना चाहिए ? नहीं सवाल तो आपसे भी होंगे बताना आपको भी होगा कि आप क्यों नहीं हो संघर्ष पथ पर, ये कैसा है आपका दोस्ताना की जनता को है बरगलाना पर कहीं नजर नहीं आना ।

ये कैसी आपकी बटाई की खेती है की आप आधी फसल के लिए अपनी जमीन की उर्वरता को नष्ट कर रहे ।रोज गिनाते आप मसले हैं ,सरकार के असरकार होने के दावे करते हैं न आपके दावे में दम, न दम है विरोध का अब आप ही बताइए आप कितने असर कार हैं । कहां थी आपकी प्रशासनिक, राजनैतिक क्षमता जिसके आप पढ़ते कसीदे थे ,हारे नहीं खदेड़ गए हो तभी तो चौदह में आकर रुके हो । सहानुभूति भी नहीं बचा पाई, उपचुनाव में भी, छीका टूटने के भरोसे बैठे हो। सत्ता की गलती से सत्ता वरण का जो ख्वाब है पूरा नहीं होगा, क्योंकि आपके मतों का हो रहा वशीकरण है, अब तो आपके नेताओं का भी हो रहा राजनीतिक क्षरण है।

कानून व्यवस्था, खनन, शिक्षा, स्वास्थ्य ,सिंचाई हर बात पर आपने कि सरकार की खिंचाई पर वातानुकूलित कमरों में बैठकर राजनीति करना है आपकी सच्चाई ।कहां से जनता की करोगे सेवा जब चहुओर व्यवसाई और राजनीति ही व्यवसाय आपका । न आप बदल रहे न आपकी राजनीति यथार्थ से दूर हैं, पंद्रह सालों की नहीं उतरी सत्ता की खुमारी है इसलिए मरी हुई आपकी राजनीति है । न प्रतिभा, न योग्यता, मापदंड है बस पैसा हर पूंजीपति टिकट का आकांक्षी कार्यकर्ता तो बस कार्य करता है चुनाव हारे पूंजीपति अब संगठनों में भरे पड़े हैं। विधानसभा हारों या लोकसभा पद तब भी मिलेगा, परिवारवाद का विरोध है पर एक -एक परिवार से दस – दस पार्टी पदाधिकारी बनाए गए हैं।

सिंडिकेट का है जलवा , जय जोहार कहने वाले छत्तीसगढ़ीयों पर कहां है आपका भरोसा ? चौधरी जी गायब है ये है नियति आपकी पार्टी में छत्तीसगढ़ी प्रतिभा की। धुरंधर हार गए आपके पार्षदी नए नवेले युवा चेहरों से फिर भी न आपको उन्ही हारे चेहरों पर दांव खेलना। जो अपने विधानसभा के नहीं ,प्रभावी वक्ता वही है आपके प्रवक्ता । क्यों नहीं हुई अभी तक प्रदेश में शराबबंदी ? क्यों आप इस पर मौन है ? मौन विपक्ष को कोई कैसे सौपे सत्ता। लोकतंत्र में आप राजतंत्र ढूंढ रहे, अपने – अपनों से कैसे सत्ता के सपने होंगे पूरे ।जनमत के बिना कैसे मिलेगा बहुमत ।अकर्मण्यता को कैसे छुपालोगे जन समस्याओं के निदान के बिना कैसे अपनी सत्ता की समस्या सुलझाओगे ।सत्ता की गलतियों के भरोसे बैठे हैं जनता क्यों ना करें फिर तुम्हारी गलतियां पर भरोसा ।
मौन विपक्ष क्रियाहींन दशा – दिशा निष्क्रिय नेता यही है छत्तीसगढ़ के विपक्षियों की विशेषता ।
मौन जैसा सुख नहीं की सोच है सो – हम विपक्षी – हम तो चुपेचाप

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल

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