मुखिया के मुखारी – राजा, लोकतंत्रीय राजा के बीच वार ही वार….

मुखिया के मुखारी – राजा, लोकतंत्रीय राजा के बीच वार ही वार….

चरणजीत सिंह चन्नी नाम ही भारतीय राजनीति की व्यथा –  कथा जीत हार सब को समझा रहा है , राजनीति में चरण वंदना से जीत हासिल होती है परिश्रम से बड़ी परिक्रमा है और यदि दो लोगों के बीच लड़ाई हो तो छीका किसके भाग में जाता है ये सबको पता है अब मसला माननीयों का है तो मान रखते हुए हम भी कह देते हैं कि दो की लड़ाई में तीसरे का फायदा। छन्नी छानती है इसलिए छन्नी कहलाती है। इस बार चन्नी जी ने छन्नी बनकर पंजाब में सत्ता को छाना है, जाति धर्म पर आधारित धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की जाति विहीन राजनीति का आधार यथार्थ में कैसा है ये उसका उदाहरण है पंजाब में सिक्ख बहुमत में है इसलिए सिक्ख जाट मुख्यमंत्री होगा तो रंधावा और सिद्धू आगे, फिर हिंदुओं के नाम पर जाखड़, सोनी आगे फिर दलित के नाम पर चन्नी जी के नाम पर मुहर लगी सत्ता छनती रही, छनती रही जाति और धर्म के नाम पर तब जाकर कांग्रेस विधायक दल का नेता जो घंटों में नहीं चुना जा सका था एक घंटे में चुन लिया गया।

इसमें गुरु के रूठने का भी बड़ा योगदान था तो कैप्टन की धमकी का भी ,अब इस पूरी प्रक्रिया में प्रतिभा, योग्यता और लोकप्रियता कहीं कोई मापदंड है क्या ? सिक्के उछाल कर नियुक्ति देने की बात कही ये “मी टू” के आरोप हो यदि आप हाईकमान को भा गए तो सब कुछ आपका । मांगा कतरा नहीं था आपने सागर थमा दिया ।जो चुने गए उनकी योग्यता और लोकप्रियता पर खुद चुनने वालों को शक है सो 22 में चुनाव में सिद्धि के लिए सिद्धू का चेहरा वपारेंगे । ये है गजब की रणनीति दलित प्रेम सिर्फ झगड़ा निपटाने तक फिर चुनाव में वही जट सिक्ख सरदार होंगे । सत्ता केंद्र बन कर भी आप चुनाव के संघर्ष में ना सरदार होंगे ना कैप्टन मतलब सरदार कैप्टन और गुरु से आप कमतर हैं और कमतर रहेंगे, झुनझुना हैं आपके हाथ में बजा लीजिए चार महीने जितना बजा सकते हैं, सत्ता के कर्णधारों के कर्ण की कमियां जो उनके निर्णयों में भी दिखती है, संशय से भरे निर्णयों से जीत की इबारत कैसे लिखी जाएगी, वैसे भी आप जीत हार नहीं लड़ाई निपटाने वाले बना दिए गए हैं ।

“दलित” के नाम पर सिर्फ राजनीति दलित को सत्ता में हिस्सेदारी दी भी तो सिर्फ चार महीने के लिए, इसे रणनीति बता रहे देश भर में चुनावी समीकरण साधने का जुगाड़ बना रहे कबाड़ा हो जाएगा सब कुछ यदि किसी राजनीतिक दल ने पंजाब में मुख्यमंत्री का चेहरा दलित को घोषित कर दिया।फिर क्या करेंगे जब पंजाब की हवा पंजाब में ही निकाल दी जाएगी फिर उड़ता पंजाब की जगह उड़ती हुई आप की राजनीति हो जाएगी। पंजाब की राजनीति बानगी हैं कांग्रेस की वर्तमान राजनीति का जिसमे कैसे-कैसे निर्णय लिए जा रहे,प्रभाव तो छत्तीसगढ़ पहुंच गया और पूरे आसार है पड़ोसी राजस्थान तक भी पहुंचेगा जरूर ।

अब प्रौढ़ावस्था का मातृत्व और सत्ता की कामना में आसक्ति एक जैसी होती है । आज दिल्ली का बुलावा था ,सो गए भी अब क्यों गए काहे गए सबका अपना -अपना अंदाजा है, नजदीकी कह रहे सब कुछ जल्दी होने वाला है दूसरा पक्ष कह रहा कभी नहीं होने वाला । प्रौढ़ावस्था का संतानसुख हमेशा व्यक्ति को मोही बनाता है, राजनीति में अपवादों को छोड़ दे तो संतानरूपी सत्ता प्रौढ़ावस्था में ही प्राप्त होती है,मोह का उपाय तो त्रिकालदर्शी गुरु वशिष्ठ नही निकाल पाए थे तो अबके सलाहकार रूपी गुरुओं से क्या अपेक्षा जो सत्ता के चरण वंदना में त्रिलोक देखते है ।मोह राजनीति में सत्ता की, अपनों को अपनों से लड़ा अपने ही खेमे में दुश्मनी निभाने और दुश्मन बनाने का नया राजनीतिक दौर है। पर घटनाक्रम कुछ तो है की तर्ज पर चल रहा है। राजनीति है सो सब में राज है । राज और सिर्फ राज है राजा और लोकतंत्र के राजा के बीच का वार है। कुल जमा छत्तीसगढ़ में – राजा, लोकतंत्रीय राजा के बीच वार ही वार….

चोखेलाल
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मुखिया के मुखारी में व्यवस्था पर चोट करती चोखेलाल

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