रायपुर : अखंड सुहाग की कामना को लेकर सुहागिनें सोमवार को तीजा पर्व का व्रत रखेंगी। व्रत से पहले रविवार को कड़ू भात यानी करेला-चावल का सेवन करने की रस्म निभाएंगी। 40 घंटे तक निर्जला व्रत रखने के पश्चात गणेश चतुर्थी पर पूजा करके पारणा करेंगी। तीजा पर्व मनाने के लिए सुहागिन बेटियाें का मायके पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। रविवार की शाम तक बेटियाें के मायके आना-जाना जारी रहेगा।
महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि तीजा व्रत रखने से पहले सुहागिनें कड़ू भात का सेवन करेंगी। करेले की सब्जी और चावल को कड़ू भात कहा जाता है। व्रत से पूर्व कड़ू भात का सेवन करने से व्रत वाले दिन ज्यादा प्यास नहीं लगती। चूंकि तीजा व्रत में लगभग 40 घंटे तक पानी भी नहीं पीते इसलिए कड़ू भात खाने का महत्व है।
महंगा हुआ करेला
तीजा व्रत से पूर्व घर-घर में करेला-चावल का सेवन करने से बाजार में करेला की मांग बढ़ गई। कड़ू भात परंपरा से एक दिन पहले ही बाजार में करेला की खूब बिक्री हुई। आम दिनों में 40 रुपये किलो मिलने वाला करेला 60 से 80 रुपये तक बिका। रविवार को करेला की कीमत और बढ़ जाएगी।
प्रदोष काल में ऐसे करें पूजन
हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं। प्रदोष काल अर्थात दिन रात के मिलने का समय। हरतालिका पूजन के लिए शिव, पार्वती, गणेश एव रिद्धि सिद्धि की प्रतिमा बालू रेत अथवा काली मिट्टी से बनाएं। चौकी पर अष्टदल बनाकर थाल रखें। रंगोली, पुष्प से सजाएं। थाल में केला पत्ता रखकर उस पर प्रतिमा रखें। श्रीफल पर लाल कलावा बांधें। कुमकुम, हल्दी, चावल, पुष्प चढ़ाकर पूजन करें। पहले कलश पूजन, फिर गणेश पूजन, इसके बाद शिव एवं माता गौरी की पूजा करें। भगवान शिव को बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा फूल अर्पण करें। आचार्य, पंडित से हरतालिका व्रत की कथा सुनें। रात्रि जागरण करके भजन-कीर्तन करें।
ककड़ी से पारणा
अंतिम पूजा के बाद माता गौरी को अर्पित सिंदूर को सुहागिनें लें। ककड़ी एवं हलवे का भोग लगाएं। दूसरे दिन चतुर्थी तिथि पर ककड़ी का प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारणा करें।
मां पार्वती का मंत्र
ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊं शांतिरूपिण्यै नम:
भगवान शिव मंत्र
ऊं हराय नम:,ऊं महेश्वराय नम:, ऊं शम्भवे नम:, ऊं शूलपाणये नम:, ऊं पिनाकवृषे नम:, ऊं शिवाय नम:, ऊं पशुपतये नम:, ऊं महादेवाय नम: का उच्चारण करें।
पूजन सामग्री
फुलेरा, गीली काली मिट्टी अथवा बालू रेत, आमपत्ता, केले का पत्ता, फल एवं फूल पत्ते, बेल पत्र, शमी पत्र, धतूरा, तुलसी मंजरी, जनेऊ, मौलीधागा, वस्त्र, माता गौरी के लिए सुहाग सामग्री, घी, तेल, दीपक, कपूर, कुमकुम, सिंदूर, अबीर, चंदन, नारियल, कलश, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद से पंचामृत।
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