भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है वामन जयंती, जानें क्या है इसका पौराणिक महत्व

भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है वामन जयंती, जानें क्या है इसका पौराणिक महत्व

पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु ने वामन रूप में अवतार लिया था। हिंदू पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष द्वादशी को अभिजीत मुहूर्त यानी श्रवण नक्षत्र में पैदा भगवान वामन का जन्म हुआ था। उन्होंने कश्यप ऋषि और अदिति के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस साल वामन जयंती 26 सितंबर को मनाई जाएगी।

द्वादशी तिथि समाप्त 27 सितंबर, 2023 को 01:45 पूर्वाह्न

श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ 25 सितंबर 2023 को सुबह 11:55 बजे

श्रवण नक्षत्र समाप्त 26 सितंबर 2023 को 09:42 पूर्वाह्न

वामन जयंती का महत्व

पंडित आशीष शर्मा के अनुसार, वामन जयन्ती भगवान विष्णु के पांचवें अवतार यानी वामन अवतार के जन्म के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु ने राजा बलि को ब्रह्मांड पर आधिपत्य जमाने से रोकने के लिए भाद्रपद शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को जन्म लिया था। भागवत पुराण में जिक्र मिलता है कि वामन भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से 5वे अवतार थे।

 

वामन जयंती पर ऐसे करें पूजा

इस दिन भगवान विष्णु की वामन रूप में पूजा की जाती है।

उपासक को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए।

भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

वामन देव की प्रतिमा की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा करें।

प्रतिमा के सामने बैठकर वैदिक रीति-रिवाजों से पूजा करें।

भगवान वामन देव की व्रत कथा पढ़ना या फिर सुनना चाहिए।

पूजा के बाद भगवान को भोग लगाकर प्रसाद वितरण करना चाहिए।

वामन जयंती के दिन चावल, दही और मिश्री का दान करना चाहिए।

वामन जयंती व्रत करने से लाभ

पौराणिक मान्यता है कि वामन जयंती के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सारे दु:ख दर्द दूर हो जाते हैं। इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा भगवान विष्णु के 108 नामों का पाठ करना चाहिए।

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