दो साल पहले ब्रिटेन के एक अस्पताल के बाहर बम विस्फोट करने वाले इराकी मूल के एक व्यक्ति ने अपने शरण के दावे को खारिज करने के लिए ब्रिटिश राज्य के खिलाफ शिकायत की। नवंबर 2021 में उत्तर-पश्चिम इंग्लैंड में लिवरपूल महिला अस्पताल के बाहर एक टैक्सी में घर में बने बम से आग लग गई, जिससे 32 साल के इमाद अल स्वेलमीन की मौत हो गई थी।
इसके अलावा हमले में किसी की मौत नहीं हुई थी, मगर टैक्सी ड्राइवर को मामूली चोटें आई थीं। हमले के बाद टैक्सी ड्राइवर वहां से भाग गया। यह विस्फोट रविवार को सैन्य युद्ध में मारे गए लोगों के सम्मान में होने वाले कार्यक्रमों से कुछ देर पहले हुआ और पुलिस ने तुरंत इसे आतंकवादी घटना घोषित कर दिया।
हालांकि, यूके पुलिस जांच में सामने आया है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इमाद अल स्वेलमीन चरमपंथी विचार रखता था। पुलिस का मानना था कि लीवरपूल वीमेन्स हास्पिटल के बाहर हुए हादसे में मौत का शिकार हुआ स्वेलमीन देशी बम के साथ यात्रा कर रहा था।
पुलिस ने पहले इस बात की भी पुष्टि की थी कि स्वेलमीन अतीत में अपने मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर इलाज करवा रहा था। पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है, "ऐसा लगता है कि शरण के दावे को स्वीकार करने में असफल रहने के लिए ब्रिटेन के खिलाफ अल स्वेलमीन की शिकायत ने उनके मानसिक स्वास्थ्य को और खराब कर दिया। इसके कारण उसकी शिकायत बढ़ गई और उसे हमले के लिए प्रेरित किया।"
इंग्लैंड के उत्तर-पश्चिम के लिए आतंकवाद-रोधी इकाई के जासूस अधीक्षक एंडी मीक्स ने कहा कि ऐसा लगता है कि एल स्वेलमीन ने अस्पताल में बम से विस्फोट करने की योजना बनाई थी, लेकिन यह प्रतीत होता है कि बम उसकी योजना से पहले ही फट गया।
बता दें कि यह विस्फोट दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड में मतदाताओं से मुलाकात करते के दौरान एक ब्रिटिश सांसद की चाकू मारकर हत्या करने के एक महीने बाद हुआ था।
स्वेलमीन को पहले भी दोषी ठहराया जा चुका है और उसने जॉर्डन के पासपोर्ट पर कानूनी रूप से आने के बाद ब्रिटेन में सीरियाई शरणार्थी के रूप में शरण का झूठा दावा किया था। स्वेलमीन के शरण के दावों को ब्रिटेन ने अस्वीकार कर दिया था। आतंकवाद-रोधी पुलिस ने सुझाव दिया है कि स्वेलमीन ने देश में रहने के लिए अपने मामले को मजबूत करने की उम्मीद में ईसाई धर्म अपना लिया होगा।
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