सूर्यग्रहण पर नहीं लगेगा सूतक, धार्मिक अनुष्ठान होंगे निर्विघ्न...

सूर्यग्रहण पर नहीं लगेगा सूतक, धार्मिक अनुष्ठान होंगे निर्विघ्न...

 पितरों के श्राद्धकर्म, तर्पण के लिए विशेष फलदायी मानी जाने वाली सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस बार सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण भी रहेगा, लेकिन यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए धार्मिक अनुष्ठान निर्विघ्न सम्पन्न होंगे।

आचार्यों का कहना है कि ग्रहण जहां दिखाई देता हैं वहीं पर उसका प्रभाव और सूतक मान्य किया जाता है। यह ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका कोई असर नहीं रहेगा। ऐसे में सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर होने वाले सभी अनुष्ठान निर्विघ्न होंगे।

इन दिनों पितृपक्ष पखवाड़ा चल रहा है। 14 अक्टूबर को सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के साथ ही इस पखवाड़े का समापन होगा। यह पखवाड़ा पितरों के तर्पण, श्राद्धकर्म के लिए विशेष फलदायी माना गया है। इसी प्रकार सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन भी पितरों के निमित्त तर्पण, श्राद्धकर्म करने का विधान है। जिन पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती है, उनके निमित्त भी इस दिन तर्पण किया जाता है।

जहां दिखता है, वहां होता है असर

ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि ग्रहण दृश्य पर्व होता है। जहां भी ग्रहण दिखाई देता है, वहीं पर उसके प्रभाव व सूतक मान्य होते हैं। 14 अक्टूबर सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के दिन पड़ने वाला सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक मान्य नहीं किया जाएगा। इस दिन के दैनिक कार्यों में किसी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आएगी। इसी प्रकार 28 अक्टूबर शरद पूर्णिमा पर जो चंद्रग्रहण पड़ेगा वह भारत में दिखाई देगा, इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन जो ग्रहण लगेगा उसका सूतक मान्य किया जाएगा। ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व कई मंदिरों में एक दिन पहले मनाया जाएगा।

शनिश्चरी अमावस्या का भी संयोग

इस बार सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर शनिश्चरी अमावस्या का भी संयोग होगा। ऐसे में पूर्वजों की आत्मशांति के निमित्त तर्पण, श्राद्धकर्म करने के साथ-साथ यह दिन शनिदेव की आराधना के लिए भी विशेष शुभ रहेगा। पंडितों का कहना है कि जब भी शनिवार के दिन अमावस्या आती है, तो वह शनिश्चरी अमावस्या कहलाती है। यह दिन शनिदेव की आराधना के लिए विशेष शुभ माना गया है। इस बार सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या के दिन शनिश्चरी अमावस्या रहेगी। ऐसे में जिन जातकों को साढ़े साती एवं शनि की महादशा, अंर्तदशा चल रही है, शनिश्चरी अमावस्या के दिन उन्हें शनि का दान अवश्य करना चाहिए। इससे शनि का अनिष्ट समाप्त होता है। दैनिक जीवन में आने वाली कठिनाइयां, घटना, दुर्घटना, मानसिक संताप से राहत मिलती है।

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