बड़े-बड़े आयोजनों में नजर आता है प्लास्टिक का कचरा
कई संस्थाएं लगातार जागरूकता अभियान चला रही फिर भी नहीं जाग रहे लोग
बालोद : प्लास्टिक के उपयोग से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को लेकर लगातार जागरूकता अभियान चलाने के बाद भी लोग नहीं जाग पा रहे हैं। बड़े-बड़े आयोजनों में लगातार इसका उपयोग खुलेआम हो रहा है। राजनीतिक व धार्मिक आयोजनों में जनता इसका खुलकर प्रयोग कर रही है। बीते दोनों पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग के चलते किस तरह की विनाश लीला हो रही है यह देखने के बाद भी लोगों का नहीं जागना चिंता का विषय बना हुआ है।बीते एक साल के अंदर दुर्ग, बालोद, भिलाई में कई बड़े आयोजन हुए। इन आयोजनों में प्लास्टिक का बेतहाशा उपयोग हुआ। आयोजनों के बाद प्लास्टिक का कचरा जगह-जगह फैला नजर आया, हालांकि आयोजन कर्ता इसकी सफाई भी करते हैं लेकिन कई प्लास्टिक के कचरे उड़ कर दूर चले जाते हैं, नाली में चले जाते हैं, पानी में चले जाते हैं, जिसे सफाई नहीं कर सकते। बीते माह बालोद में आयोजित प्रदीप मिश्रा के कार्यक्रम में तो भोजनालय में कम से कम प्लास्टिक का उपयोग नहीं हुआ। यह राहत की बात रही, लेकिन पूरे पंडाल में और उसके बाहर चारों तरफ दूसरे दिन प्लास्टिक का कचरा बिखरा पड़ा मिला। अभी 2 दिन पहले ग्राम कोडिया में आयोजित प्रदीप मिश्रा के कार्यक्रम में तो बेतहाशा प्लास्टिक का उपयोग हुआ। यहां भोजनालय से लेकर पंडाल तक लोगों ने खूब प्लास्टिक का उपयोग किया। आयोजन समिति लगातार अनुरोध करती रही लेकिन लोग मानने की मानसिकता में ही नहीं है।
धार्मिक आस्था के चलते प्रतिबंध का नहीं हो रहा असर
जब भी कोई बड़ा धार्मिक आयोजन होता है तो यहां पर धार्मिक आस्था उमड़ पड़ती है। इस आस्था के चलते ही प्रतिबंध का असर लोगों पर नहीं पड़ता। पर्यावरण संरक्षण के लिए लगातार जागरूकता अभियान चला रही समितियां व आयोजन समितियों का अनुरोध भी यहां काम नहीं आता। देखा गया है कि इन आयोजनों में पहुंचने वाले श्रद्धालु तो स्वयं प्लास्टिक का उपयोग करते ही हैं, साथ में सेवा के नाम पर यहां अन्य खाद्य सामग्री बांटने वाले श्रद्धालु भी प्लास्टिक का खूब प्रयोग करते हैं। गाड़ियों में भर भर कर प्लास्टिक में पैकिंग खाना लाते हैं। डिस्पोजल लाते हैं। पानी पाउच बांटते हैं। ग्राम कोडिया में हर रोज शाम को कई लोग गाड़ियों में भरकर हजारों पैकेट खाना लाते थे और लोग खाना खाकर कचरा वहीं फेंक देते थे।
काश ऐसी श्रद्धा अपने गांव के मंदिर के लिए होती
अक्सर देखा गया है कि ऐसे बड़े-बड़े धार्मिक आयोजनों में दूसरी जगह के मंदिर निर्माण के लिए लोग लाखों रुपए श्रद्धापूर्वक दान करते हैं। लेकिन अपने गांव के मंदिर के लिए हाथ खींच लेते हैं। लाखों लाख रुपए लोगों से दान के रूप में लेकर लोग चले जाते हैं। आयोजनों को लेकर कई बड़े बुजुर्ग यह कहते भी नजर आए कि जितना पैसा लोग बाहर के मंदिरों के लिए दान दे रहे हैं यदि वे अपने-अपने गांव के मंदिरों को इससे आधा भी देते तो आज गांव के मंदिरों का स्वरूप कुछ और होता। करोड़ों रुपए खर्च कर ऐसे आयोजन करने के बाद भी स्थानीय लोगों को इसका कुछ लाभ नहीं मिलता।
क्या कहते हैं प्लास्टिक को लेकर जागरूकता अभियान चलाने वाले लोग
नई पहल स्टील बर्तन बैंक उमरपोटी की संचालक श्रीमती श्रद्धा रानी साहू पिछले कई साल से प्लास्टिक से होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को लेकर लोगों को जागरुक कर रहीं हैं। प्लास्टिक का उपयोग कम से कम हो इसके लिए ये स्वयंवर्तन बैंक भी चला रही है और आयोजनों में निशुल्क बर्तन देती है। भिलाई, बालोद और कोडिया में आयोजित प्रदीप मिश्रा के कार्यक्रम के पहले इन्होंने प्रशासन से मिलकर लोगों को जागरूक करने का पूरा प्रयास किया। बालोद में पूरा भोजनालय इन्होंने संभाला और प्लास्टिक का उपयोग नहीं होने दिया। इनका कहना है कि प्लास्टिक के उपयोग से पर्यावरण पूरी तरह प्रदूषित होता है। यह न केवल मनुष्य बल्कि मवेशियों के लिए भी खतरनाक है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बाद भी इसका उपयोग होना दुखदायक है। श्रद्धा साहू कहती है कि बड़े आयोजनों में तो लोग खुलकर प्रयोग करते हैं ऐसे आयोजनों के पहले आयोजन समिति व शासन प्रशासन को पूरी तरह सजग रहना पड़ेगा।
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