सनातन परंपरा में शक्ति की साधना के लिए देवी दुर्गा के 9 स्वरूप बताए गये हैं, जिनमें से मां भगवती का तीसरा स्वरूप मां चंद्रघंटा का है. हिंदू मान्यता के अनुसार मां चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन होती है. देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप बेहद सौम्य और शांत है. माता की पूजा से उनके भक्तों के भीतर साहस और सौम्यता का विकास होता है. शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन जो भक्त उनकी विधि-विधाने से पूजा करते हैं, देवी घंटे के समान उनके मन में चल रही नकारात्मक ऊर्जा को सकरात्मक ऊर्जा में बदल देती हैं. आइए देवी चंद्रघंटा की पूजा विधि एवं महामंत्र आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं.
कैसा है मां चंद्रघंटा का स्वरूप
हिंदू मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा का तीसरा स्वरूप यानि मां चंद्रघंंटा ने घंटे के आकार वाले चंद्रमा को अपने माथे पर सुशोभित कर रखा है. चूंकि चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है, इसलिए देवी के इस स्वरूप की पूजा करने पर भक्तों की सभी मानसिक परेशानियां पलक झपकते दूर होती है. देवी की कृपा से साधक के सभी जाने-अनजाने भय दूर होते हैं और वह शांत मन और आनंद के साथ सुखी जीवन जीता है.
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
आज नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए सबसे पहले तन और मंन से प्रसन्न हो जाएं और उसके बाद अपने पूजा स्थान पर देवी चंद्रघंटा का चित्र रखकर उस पर गंगाजल छिड़कें. इसके बाद देवी के चित्र पर चंदन, रोली, फल, फूल, अक्षत, सिंदूर,धूप-दीप, वस्त्र, मिठाई आदि को चढ़ाकर पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा करें. इसके बाद देवी चंद्रघटा की महिमा का बखान करने वाली कथा कहें तथा उनके मंत्रों का जप करें. पूजा के अंत में देवी चंद्रघंटा की शुद्ध घी का दीया जलाकर आरती करें तथा उनकी पूजा का प्रसाद सभी में बांटें.
किस मंत्र से करें मां चंद्रघंटा की साधना
हिंदू धर्म में किसी भी देवी-देवता की पूजा के लिए मंत्र जप को बहुत प्रभावी माना गया है. ऐसे में नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा को शीघ्र प्रसन्न करने के लिए साधक को विशेष रूप से उनके महामंत्र का जाप करना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार देवी के मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करने पर पुण्यफल की प्राप्ति होती है. आज मां चंद्रघंटा का आशीर्वाद पानके लिए उनके सिद्ध मंत्र ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः अथवा उनके प्रार्थना मंत्र पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता, प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता का पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जाप करें.
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