बस्तर दशहरा पर्व में खास है जोगी बिठाईकी रस्म, गड्ढे में निर्जल बैठकर करनी होती है तपस्या

बस्तर दशहरा पर्व में खास है जोगी बिठाईकी रस्म, गड्ढे में निर्जल बैठकर करनी होती है तपस्या

जगदलपुर :  अपनी अनोखी परंपराओं के लिए पूरे विश्व में चर्चित बस्तर दशहरा की एक और अनूठी और महत्वपूर्ण ‘जोगी बिठाई रस्म’ को रविवार देर शाम सिरहासार भवन में पूरे विधि विधान के साथ संपन्न किया गया. परंपरानुसार एक विशेष जाति का युवक हर साल 9 दिनों तक निर्जल उपवास रख सिरहासार भवन स्थित एक निश्चित स्थान पर तपस्या के लिए बैठता है. इस तपस्या का मुख्य उद्देश्य विश्व प्रसिद्ध दशहरा पर्व को शांतिपूर्वक और निर्बाध रूप से संपन्न कराना होता है. 9 दिनों तक एक ही स्थान पर बैठे युवक को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. 

ऐसा कहा जाता है कि इस युवक पर 9 दिनों तक मां दंतेश्वरी का आशीर्वाद रहता है इस वजह से बिना कुछ खाए निर्जल रूप से वह एक स्थान पर जोगी की तरह 9 दिनों तक तपस्या में लीन रहता है. बकायदा नवरात्रि के पहले दिन देर रात इस जोगी बिठाई रस्म को मनाने के दौरान दशहरा समिति के सदस्य और बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी मौजूद रहते हैं. अगले नवरात्रि के 9 दिन तक जोगी के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं.

विशेष जाति का युवक ही बनता है जोगी

बस्तर दशहरा के जानकार  संजीव पचोरी बताते हैं कि जोगी बिठाई रस्म में जोगी से तात्पर्य योगी से होता है. इस रस्म से एक कहानी जुड़ी हुई है. मान्यताओं के अनुसार सालो पहले दशहरा के दौरान हल्बा जाति का एक युवक जगदलपुर राजमहल के नजदीक तप की मुद्रा में निर्जल उपवास पर बैठ गया था. दशहरे के दौरान 9 दिनों तक बिना कुछ खाये पिये, मौन अवस्था में युवक के बैठे होने की जानकारी जब बस्तर के तत्कालीन महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव को मिली तो वह खुद  योगी के पास पहुंचे और उससे तपस्या पर बैठने का कारण पूछा. तब योगी ने बताया कि उसने दशहरा पर्व को निर्विघ्न व शांति पूर्वक रूप से संपन्न कराने के लिये यह तप किया है. जिसके बाद राजा ने योगी के लिये महल से कुछ दूरी पर सिरहासार भवन का निर्माण करवाकर इस परंपरा को आगे बढ़ाये रखने में सहायता की. तब से हर साल अनवरत इस रस्म में जोगी बनकर हल्बा जाति का युवक 9 दिनों की तपस्या में बैठता है. इस साल भी बस्तर जिले के बड़े आमाबाल गांव निवासी रघुनाथ नाग ने जोगी बन करीब 600 वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के तहत् स्थानीय सिरहासार भवन में दंतेश्वरी माई व अन्य देवी देवताओं का आशीर्वाद लेकर निर्जल तपस्या शूरु की है. इस रस्म में शामिल होने बस्तर राजपरिवार के साथ बड़ी संख्या में आम नागरिक सिरहासार भवन में मौजूद थे.

4 साल से परंपरा को निभा रहे जोगी रघुनाथ नाग

जोगी रघुनाथ नाग ने बताया कि पीढ़ी दर पीढ़ी उन्हीं के परिवार के सदस्य ही बस्तर दशहरा में  नवरात्रि के 9 दिनों तक जोगी बनते आ रहे हैं. यह उनका चौथा साल है. इससे पहले उनके बड़े भाई बस्तर दशहरा शांति पूर्वक और निर्बाध रूप से संपन्न हो इसके लिए तपस्या पर बैठते थे. उन्होंने बताया कि एक ही स्थान पर 9 दिनों तक निर्जल उपवास रख बैठा है. जोगी का मुख्य उद्देश्य होता है, जोगी का मानना है कि 9 दिनों तक मां दंतेश्वरी का उन पर आशीर्वाद ही रहता है कि उन्हें भूख प्यास नहीं लगता है, और पूरी तरह से 9 दिनों तक वह तपस्या में लीन रहते हैं.








You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे


Related News



Comments

  • No Comments...

Leave Comments