नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है. माता कूष्मांडा की पूजा करने से भक्तों के दुख दूर होते हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है. हिंदू धर्म पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि माता कूष्मांडा में समस्त सृष्टि का सृजन करने की शक्ति समाहित है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार माता कूष्मांडा सौरमंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं. माता ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड का सृजन कर दिया था. इसलिए माता के इस स्वरूप को कूष्मांडा कहा गया. माता कूष्मांडा की पूजा आराधना करने से भक्तों को रोग, शोक और तमाम तरह के दोषों से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है. तो चलिए जानते हैं, माता कूष्मांडा की पूजा विधि, मंत्र और महत्व के बारे में.
-मां कूष्मांडा की पूजा का महत्व
माता कूष्मांडा को ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार माता कूष्मांडा ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी. माता कूष्मांडा की पूजा करने से भक्तों को संकटों से मुक्ति मिलती है. यदि कोई पुराना रोग या दोष आपको परेशान कर रहा है, तो ऐसे में आपको माता कूष्मांडा की पूजा करनी चाहिए. इसके अलावा जिन लोगों को संसार में प्रसिद्धि पाने की इच्छा होती है. उन्हें भी माता कूष्मांडा की पूजा आराधना करनी चाहिए. माता कूष्मांडा में सृजन की शक्ति है, इसलिए जीवन प्रदान करने वाली माता है. मान्यता के अनुसार माता कूष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति की आयु भी बढ़ती है.
मां कूष्मांडा पूजा मंत्र
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
मां कूष्मांडा बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:
-मां कूष्मांडा की पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन माता शक्ति के चौथे स्वरूप माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है. इसके लिए प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर माता कूष्मांडा का ध्यान करना चाहिए. इसके बाद उनको गंगाजल से अभिषेक कराके लाल वस्त्र, लाल रंग के फूल, अक्षत, सिंदूर, पंचमेवा, नैवेद्य, श्रृंगार सामग्री अर्पित करें. इस दौरान माता कूष्मांडा के मंत्र का निरंतर उच्चारण करते रहें. माता कूष्मांडा को दही और हलवे का भोग लगाएं. यदि आपके पास सफेद कुम्हड़ा है. तो उसे माता रानी को अर्पित कर दें. इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में घी का दीपक या कपूर जलाकर माता कूष्मांडा की आरती करें.
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