सीजीपीएससी -2022 भर्ती में भी फर्जीवाड़ा, तीन अभ्‍यथियों के आए चयनितों से ज्‍यादा अंक फिर भी इंटरव्‍यू में नहीं बुलाया

सीजीपीएससी -2022 भर्ती में भी फर्जीवाड़ा, तीन अभ्‍यथियों के आए चयनितों से ज्‍यादा अंक फिर भी इंटरव्‍यू में नहीं बुलाया

बिलासपुर  : छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी)-2021 भर्ती में हुए फर्जीवाड़े की आंच अभी ठंडी भी नहीं हुई कि अब सीजीपीएससी-2022 की भर्ती में भी फर्जीवाड़ा का मामला सामने आने लगा है। दो ऐसे अभ्यर्थी हैं जिनका चयनितों से ज्यादा अंक होने के बाद भी उन्हें साक्षात्कार में नहीं बुलाया गया। वहीं आयोग ने इसके पीछे तर्क दिया है कि उन्होंने उत्तरपुस्तिका में अपनी पहचान उजागर कर दी थी, इसके चलते उन्हें साक्षात्कार से वंचित किया गया। जिन दो अभ्यर्थियों का डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयन किया गया है उसमें से एक ने तो बकायदा सरपंच भटगांव लिखा है। यह भी सवाल उठने लगा है कि आखिर चयन प्रक्रिया में सीजीपीएससी किस मापदंड के आधार पर निर्णय लिया।

वर्ष 2021 सीजीपीएससी भर्ती में जो गड़बड़ी की गई उससे कहीं ज्यादा फर्जीवाड़ा वर्ष 2022 के सीजीपीएससी भर्ती में की गई है। जिन मापदंडों का हवाला देकर राज्य लोक सेवा आयोग ने मेरिट में आने वाले दो अभ्यर्थियों को साक्षात्कार से बाहर कर दिया था उसी तरह के एक नहीं दो मामले सामने आए हैं। जिसमें दोनों अभ्यर्थियों ने उत्तर पुस्तिका में अपनी पहचान स्पष्ट रूप से बताई है।

एक ने सरपंच भटगांव लिखा है तो दूसरे ने त थ द और हस्ताक्षर भी किया है। शिवम देवांगन को लिखित परीक्षा में 771 व सागर वर्मा को 845 अंक मिला है। साक्षात्कार से अयोग्य करने के लिए सीजीपीएससी ने मापदंडों व नियमों का हवाला दिया और बाहर का रास्ता दिखा दिया। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में सीजीपीएससी ने कुछ इसी तरह का जवाब भी पेश किया है।

आयोग ने अपने जवाब में बताया कि दोनों अभ्यर्थियों ने अपनी पहचान उजागर कर दी है। नईदुनिया के पास उपलब्ध दस्तावेज में यह स्पष्ट है कि जिन दो अभ्यर्थियों का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर किया गया है,दोनों ने उत्तर पुस्तिका में अपनी पहचान स्पष्ट कर दी है। डिप्टी कलेक्टर के लिए चयनित दोनो अभ्यर्थियों के नंबर भी आयोग ने जिन दो अभ्यर्थियों को साक्षात्कार से अयोग्य करार दिया उससे कम है। साक्षात्कार में अगर इनको बुलाया जाता तो वे दो उम्मीदवार बाहर हो जाते जिनका चयन आयोग ने डिप्टी कलेक्टर के पद पर किया है।

आंसरशीट में एक सवाल आया था कि भ्रष्टाचार के संबंध में आपको शिकायत दर्ज करानी है और प्रतिवेदन पेश करना है। अभ्यर्थियों ने अपने-अपने तरीके से संबंधित विभाग के उच्च अधिकारी को संबोधित करते हुए आवेदन लिखा।आवेदक के स्थान पर ऐसे नाम लिखे जिससे उनको दूर-दूर तक संबंध नहीं है। आयोग ने इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल किया और दोनो अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त करने के बाद साक्षात्कार से बाहर कर दिया। डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित एक अभ्यर्थी ने मापदंडों का दो स्तर पर उल्लंघन किया है। पहचान बताने के अलावा तय जगह से बाहर भी लिखा है। आयोग का स्पष्ट निर्देश और शर्त है कि निर्धारित जगह से बाहर एक भी अक्षर नहीं लिखना है।

तीन मूल्यांकनकर्ता उसके बाद कर दी चूक

मूल्यांकनकर्ताओं की लापरवाही का एक और नमूना सामने आया है। एक अभ्यर्थी तेजराम नाग को लिखित परीक्षा में 728 नंबर मिला है। 729.5 नंबर वाले अभ्यर्थी को सहायक जेलर के पद पर चयन कर लिया है। राज्य लोकसेवा आयोग ने जब अभ्यर्थियों की उत्तरपुस्तिका वेबसाइट पर अपलोड किया जब यह गड़बड़ी सामने आई। अभ्यर्थी नाग के एक सवाल का जवाब जो 10 नंबर का था मूल्यांकनकर्ताओं ने जांचा ही नहीं। 10 में से उसे पांच नंबर भी मिलता तो सहायक जेलर के पद पर चयनित हो जाते। यह गड़बड़ी जानबुझकर की गई या फिर मानवीय भूल। कारण चाहे जो भी चयनित होने से वह वंचित रह गया है। आयोग की व्यवस्था पर नजर डालें तो उत्तरपुस्तिकाओं की जांच तीन स्तरों पर की जाती है। मूल्यांकनकर्ता,सहायक मूल्यांकनकर्ता और प्रमुख मूल्याकंनकर्ता। तीन स्तरों पर उत्तरपुस्तिका की जांच के बाद यह कैसे संभव है कि किसी अभ्यर्थी द्वारा लिखे गए जवाब को जांचना भूल जाए।

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