साइंटिस्ट्स ने दुनिया की सबसे काली नदियों में से एक की खोज की है, जो अफ्रीकी देश कांगो में है, जिसका नाम ‘रुकी नदी’ है. यह वहां की कांगो नदी की एक सहायक नदी है. इसका पानी कोयले के रंग जैसा काला नजर आता है. साइंटिस्ट्स का कहना है कि इसके पानी का इतने गहरे काले रंग का होने का कारण उसमें घुले हुए ऑर्गेनिक मैटर के कारण है.
डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार, ‘रुकी नदी’ का पानी इतना काला है कि इसमें आप अपने चेहरे के सामने अपना हाथ भी नहीं देख सकते हैं. इस नदी को लेकर ईटीएच ज्यूरिख के रिसर्चर्स ने अपनी साइंटिफिक स्टडी को दुनिया के सामने पेश किया है. उन्होंने बताया है कि रुकी नदी के काला रंग उसके आसपास के रेनफॉरेस्ट के घुलनशील कार्बनिक पदार्थों के उसके पानी में भारी मात्रा में मिलने से मिलता है. इस स्टडी के प्रमुख लेखक डॉक्टर ट्रैविस ड्रेक ने कहा, ‘रुकी नदी जंगल की चाय है.
क्यों है इसका इतना काला पानी?
कांग्रो में स्विट्ज़रलैंड के आकार से चार गुना बड़े ड्रेनेज बेसिन है, जिसमें सड़ते हुए पेड़ और पौधों से कार्बन युक्त कंपाउंड्स निकलते हैं, जो भारी बारिश और बाढ़ के कारण रुकी नदी में बह जाते हैं. डॉक्टर ट्रैविस ड्रेक ने कहा कि इन घुले हुए कार्बन कंपाउंड्स का पानी में घनत्व बहुत ही ज्यादा होता है. यह कई टी बैग्स का इस्तेमाल करके बनाई की चाय के जैसा होता है.
साइंटिस्ट्स ने यह भी पाया है कि रुकी नदी अमेजन की रियो नेग्रा जो दुनिया की सबसे बड़ी काले पानी की नदी है, से 1.5 गुना अधिक गहरी है.
भले ही रुकी कांगो बेसिन का केवल बीसवां हिस्सा बनाती है, लेकिन कांगो में सभी घुलनशील कार्बन का पांचवां हिस्सा इस एक सहायक नदी में आकर मिलता है. रिसर्चर्स ने पाया कि रुकी बेसिन के नीचे भारी मात्रा में पीट बोग्स मिट्टी जमी हुई है. उनका अनुमान है कि कांगो बेसिन में पीट बोग्स में लगभग 29 बिलियन टन कार्बन जमा हो सकता है.
Comments