छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने राज्य में नक्सलवाद को रोकने में कोई भूमिका नहीं निभाई, क्योंकि 2014 और 2018 के बीच भाजपा की डबल इंजन की सरकार के दौरान नक्सली हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही थी। बघेल ने दावा किया कि उनकी सरकार की विकास, विश्वास और सुरक्षा की तीन-आयामी रणनीति ने माओवादियों को पीछे धकेल दिया है। ‘पीटीआई-भाषा' को दिए एक साक्षात्कार में बघेल ने यह भी कहा कि अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के सत्ता में आने पर वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे या नहीं, इस बात का फैसला पार्टी आलाकमान करेगा। छत्तीसगढ़ की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिये सात और 17 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा।
सत्ताधारी दल कांग्रेस को उम्मीद है कि सरकार की किसान, आदिवासी और गरीब वर्ग की भलाई के लिए चलाई गई योजनाओं के कारण जनता का साथ मिलेगा। साथ ही पार्टी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की लोकप्रियता पर भी भरोसा है, जिनकी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और ग्रामीण मतदाताओं पर खासी पकड़ है। साक्षात्कार के दौरान मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के खिलाफ भाजपा द्वारा लगाए जा रहे घोटालों के आरोपों का खंडन किया और कहा उनकी सरकार को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। केंद्र सरकार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग (आईटी) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का उपयोग कर चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश रही है। राज्य की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक नक्सली समस्या को लेकर बघेल ने कहा, ‘‘2014 और 2018 के बीच छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार (रमन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार) थी, इस दौरान नक्सल संबंधी घटनाएं बढ़ीं। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद (2018 में) राज्य सरकार ने विकास की रणनीति लागू की। क्षेत्र में विश्वास और सुरक्षा के परिणामस्वरूप नक्सलियों को पीछे जाना पड़ा।
इसमें भाजपा की कोई भूमिका नहीं है। वे ही भड़काने वाले हैं। मणिपुर जल रहा है लेकिन वे वहां नहीं जा रहे हैं।'' उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था और कहा था कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के नौ साल के शासन में नक्सली हिंसा की घटनाओं में 52 फीसदी की कमी आई है। उन्होंने कहा था कि राज्य में भाजपा फिर से सत्ता में आती है तब इस समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। बघेल ने कहा, ‘‘हम केवल बल के इस्तेमाल से नक्सलवाद से नहीं लड़ सकते। हमारे कार्यकाल में धुर नक्सली इलाकों में पुलिस शिविर खोले गए। जो शिविर 2009 से लंबित थे, उन्हें स्थापित किया गया। हमारी सरकार में 90 शिविर खोले गए और लगभग 600 गांवों को नक्सलवाद से मुक्त कराया गया।'' बघेल ने कहा, ‘‘हमने (माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में) 300 स्कूल फिर से खोले।
हमने हजारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई हैं। हमने लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने की कोशिश की है और कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं।'' घोटालों के आरोपों और ईडी की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए, बघेल ने कहा कि ये उनकी सरकार को बदनाम करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, ‘‘वे गोबर खरीद में 1,300 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं। यह कैसे संभव हो सकता है क्योंकि अब तक 271 करोड़ रुपये का गोबर खरीदा गया है (गोधन न्याय योजना की शुरुआत से) और पैसा सीधे लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित किया गया है।'' मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘वे शराब घोटाले और (शराब की बोतलों पर) नकली होलोग्राम के बारे में बात करते हैं। उच्चतम न्यायालय ने (कथित शराब घोटाले के आरोपियों को) राहत दी है। नकली होलोग्राम कहां चिपकाया जाएगा? यह कारखानों में किया जाएगा। लेकिन वे (ईडी) फैक्टरी मालिकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं, जबकि अन्य को गिरफ्तार किया जा रहा है।
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