रायपुर : त्रेतायुग के महाकोशल प्रदेश के दक्षिणी भाग को वर्तमान का छत्तीसगढ़ माना जाता है। राजधानी रायपुर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंदखुरी गांव को भगवान श्रीराम की माता कौशल्या का मायका कहा जाता है। इस गांव में माता कौशल्या और दो अन्य देवियों की सातवीं-आठवीं शताब्दी की सोमवंशी कालीनी प्रतिमा प्रतिष्ठापित हैं। ग्रामीण इन तीनों देवियों की पूजा तीन बहनों के रूप में करते हैं।
जनश्रुति के अनुसार कोशल नरेश राजा महाकोशल (भानुमंत) तथा सुबाला की तीन पुत्रियां थीं। चंदखुरी गांव के निवासी लेखक राजेंद्र वर्मा तोषी बताते हैं कि मां कौशल्या धाम चंदखुरी में संवत 1973 ईस्वी सन 1916 में स्व. सीताराम स्वामी पिता स्व. नारायण स्वामी नायडू के साथ ग्रामीणों ने श्रमदान कर जल सेन तालाब की सफाई की तो तालाब के बीचोबीच एक टीला मिला। उसमें सघन वृक्षों के बीच तीन मूर्तियां मिलीं। उन मूर्तियों को टीले पर स्थापित कर पूजा-अर्चना प्रारंभ की गई। कुछ समय पश्चात उनमें से दो मूर्तियां अदृश्य हो गईं।
ग्रामीणों ने ढूंढ़ना प्रारंभ किया। कोटवार के माध्यम से आसपास के गांवों में मुनादी कराई गई। ग्रामीणों के अथक प्रयास से 2 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम नगपुरा के खुले मैदान में एक मूर्ति मिली। दूसरी मूर्ति पांच किलोमीटर की दूरी पर बड़गांव बस्ती के पास मिली।
ग्रामीणों ने मालगुजार को सूचना दी। सभी ने उन मूर्तियों को सम्मान पूर्वक पूजा अर्चना कर बैलगाड़ी में रखकर टीले में स्थापित किया। रात्रि में दोनों मूर्तियां फिर उसी जगह पर चली जाती थीं। ग्रामीण मूर्तियों को लाकर स्थापित करते थे। यह क्रम कई दिनों तक चलता रहा।
एक रात्रि गांव वालों के स्वप्न में तीनों देवियों (मूर्तियों) ने दर्शन देकर कहा कि हम बहनों ने इन तीनों स्थानों का चयन अपने लिए किया है। हमें इस स्थान से नहीं हटाया जाए। इसके पश्चात जो मूर्ति जहां थी, वहीं स्थापित कर पूजा की गई। चंदखुरी टीले की मूर्ति को मां कौशल्या, नगपुरा एवं बड़गांव में स्थापित मूर्ति को मां चंडी देवी के नाम से पुकारते हैं।
मां कौशल्या धाम चंदखुरी
मां कौशल्या धाम को पुरातात्विक सर्वेक्षण कर छत्तीसगढ़ सरकार ने जीर्णोद्धार कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया है।
मां चंडी देवी बड़गांव
बड़गांव में मंदिर का जीर्णोद्धार दानी भरत तिवारी ने 15 लाख की लागत से कराया। मंदिर परिसर में छत्तीसगढ़ की 36 देवियों का मनोहारी चित्रण किया गया है। वर्तमान में यहां 100 से अधिक मनोकामना जोत कलश की स्थापना दोनों नवरात्र में की जाती है।
मां चंडी देवी नगपुरा
नगपुरा में चंडी देवी मंदिर का जीर्णोद्धार ग्रामीणों ने कराया है। दोनों नवरात्र में मनोकामना जोत कलश की स्थापना की जाती है।
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