छत्तीसगढ़  विधानसभा चुनाव 2023 :  बस्तर में गणतंत्र स्थापित करने को गनतंत्र से टकराएंगे 60 हजार जवान

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 : बस्तर में गणतंत्र स्थापित करने को गनतंत्र से टकराएंगे 60 हजार जवान

जगदलपुर :  छत्तीसगढ़ में प्रथम चरण के चुनाव के पहले राजनांदगांव में भाजपा नेता की हत्या कर नक्सलियों ने लोकतंत्र के महायज्ञ में विघ्न डालने की मंशा स्पष्ट कर दी है। यही वजह है कि बस्तर में शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए सुरक्षा बलों के लगभग 60 हजार जवान तैनात रहेंगे। इसमें करीब 40 हजार अतिरिक्त अर्धसैनिक बल मतदान करवाने अन्य राज्यों व केंद्र से आ रहे हैं।

द्रीय निर्वाचन आयोग ने इस बार यहां के ऐसे क्षेत्र जहां मतदान केंद्र दूर होने के कारण लोग नक्सल दहशत के चलते मतदान करने को नहीं जाते थे, वहां भी चार-पांच गांवों के बीच एक मतदान केंद्र बना दिया है। ऐसे 126 मतदान केंद्र हैं, जहां पहली बार वोट डाले जाएंगे। इनके अंतर्गत कई गांव ऐसे भी हैं जहां से पिछले चुनाव में एक भी वोट नहीं डाले गए थे। शत-प्रतिशत मतदान के लक्ष्य के चलते यह सारी कवायदें की गई हैं।

बस्तर में कम हुई है नक्सलियों की दहशत

बस्तर में सुरक्षाबलों के कैंपों की संख्या बढ़ने के बाद से नक्सली दहशत कम जरूर हुई है, लेकिन विशेषकर चुनाव के दौर में नक्सली दहशत फैलाने से बाज नहीं आते। बताते चलें कि बस्तर में पिछले एक वर्ष में आधा दर्जन भाजपा नेताओं की हत्या कर नक्सलियों ने भय का वातावरण बनाने का प्रयास किया है। यही वजह है कि यहां के 22 भाजपा नेताओं को चुनाव के ठीक पहले एक्स श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। इसके अतिरिक्त संभाग में 120 नेताओं को एक्स, वाय व जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई है।

सुरक्षा के साये में अधिक मतदान की उम्मीद

विगत चार वर्ष में बस्तर संभाग में चांदामेटा, नंबी, कुदूर सहित 65 नवीन सुरक्षा बल के कैंप स्थापित किए गए हैं। नक्सल प्रभावित 2710 गांव में से करीब 650 गांव को नक्सलियाें के प्रभाव से मुक्त करा लिया गया है। नक्सलियों को अपने आधार क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा है। इससे चुनाव में मतदान का प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद रहेगी।

राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार 2018 के प्रथम चरण के चुनाव में 76.28 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो 2013 के 75.93 से 0.35 प्रतिशत अधिक रहा। इसमें नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा विधानसभा क्षेत्र में 2018 में 55.30 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि वर्ष 2013 में 48.36 फीसदी मतदान हुआ था। बीजापुर विधानसभा क्षेत्र में 2018 में 47.35 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2013 में 45.01 प्रतिशत था। नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र में 2018 में 74.40 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि 2013 में 70.28 प्रतिशत मतदान हुआ था।

मतदान को लेकर ग्रामीण उत्साहित

बीजापुर-सुकमा जिले के सीमा क्षेत्र में अप्रैल 2021 में तर्रेम के पास हुए नक्सली हमले में सुरक्षा बल के 22 जवान मारे गए थे और एक जवान राकेश मन्हास का अपहरण कर लिया गया था। यहां सुरक्षा बल के कैंप स्थापित किए जाने के बाद तर्रेेम में पहली बार मतदान केंद्र बनाया गया है, जहां चिन्नागेलूर, पेद्दागेलूर सहित अन्य गांव के ग्रामीण मतदान करेंगे। ग्राम सचिव संतोष हपका ने बताया कि यहां के 1080 मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। मतदान को लेकर ग्रामीणों में उत्साह है। इसी तरह बेचापाल में सुरक्षा बल का कैंप स्थापित करने के बाद यहां मतदान केंद्र बनाया गया है।

ग्राम सचिव रामाधर कश्यप ने बताया कि तिमेनार, एंड्री सहित आसपास के सात-आठ गांव के 927 मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। प्रशासन ने भी ग्रामीणों को मतदान के लिए प्रेरित किया गया है, जिससे ग्रामीण उत्साहित है। इनमें से कुछ गांव अतिसंवेदनशील है, वहां से ग्रामीण मतदान के लिए पहुंचेंगे या नहीं यह मतदान के दिन ही पता चलेगा। बस्तर जिले में नक्सल कारीडोर तुलसीडोंगरी के पास चांदामेटा में पिछले वर्ष सुरक्षा बल का कैंप स्थापित किया गया था।

गांव छोड़कर भागे लोग भी गांव लौटने लगे

सीआरपीएफ अधिकारी राजू बाघ बताते हैं कि कैंप की स्थापना के बाद ग्रामीणों का भरोसा शासन-प्रशासन पर बढ़ा है। गांव तक पक्की सड़क, स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए हैं। यहां 335 मतदाता पहली बार मतदान करेंगे। गांव के युवा श्याम कवासी कहते हैं कि वे मतदान करने के लिए वे उत्साहित हैं। यहां शासना-प्रशासन की अनुपस्थिति से कई ग्रामीण जो नक्सल संगठन में चले गए थे वे अब मुख्यधारा में लौट आए हैं। नक्सलियों के डर से गांव छोड़कर भागे लोग भी गांव लौटने लगे हैं।

चुनाव के दौरान हुए नक्सल हमले

  • 2018 में नीलावाया में पुलिस पार्टी पर हमला। दूरदर्शन का कैमरामेन व दो जवान बलिदान हुए थे।
  • 2011 में बड़ेगुडरा में मतदान दल के बस को विस्फोट से उड़ाने का प्रयास में एक सुरक्षा बल का जवान घायल।
  • 2008 में सुकमा जिले में भी केरलापाल के पास मतदान दल के पीछे चल रहे सुरक्षा बल पर हमला।
  • 2008 में एक दर्जन स्थानों पर मतदान दल के साथ लूटपाट के बाद पुर्नमतदान करवाना पड़ा था। बस्तर जिले के बिंता घाटी के नीचे मतदान दल पर हमले में एक जवान बलिदान।

फैक्ट फाइल

  1. 60 हजार से अधिक अर्धसैनिक बल की तैनाती।
  2. 40 हजार बाहर व 20 हजार स्थानीय बल इसमें।
  3. 2943 मतदान केंद्र बस्तर में।
  4. 1254 केंद्र नक्सल संवेदनशील।
  5. 126 केंद्र में पहली बार मतदान।
  6. 152 केंद्र ऐसे, जहां हेलीकाप्टर से जाएंगे मतदान दल।

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