मुफ़्त के बेतुके रेवड़ियों का पैसा क्या विदेशों से आएगा ?  : विजय पारख

मुफ़्त के बेतुके रेवड़ियों का पैसा क्या विदेशों से आएगा ?  : विजय पारख


   घोषणा पत्रों की सच्चाई पर मतदान करेंगे मतदाता


बालोद  : देश के विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनावों का शंखनाद हो चुका है, चुनाव आयोग ने सारी तैयारीयाँ कर ली है, प्रशासन सजग हो गया है, राजनैतिक पार्टियों के लोकलुभावन वायदों, घोषणाओं के जाल बिछ चुके हैं लेकिन मतदाता मौन है! राजनैतिक पार्टियों के घोषणा, वचन पत्र अटके पड़ें हैं‌ चुनावी मंचों से नेताओं के ऊलूलजलुल बयान बाजीयों ने चुनावी सभाओं और मीडिया की सुर्खियां बटोरने में कसर बाकी ना रख छोड़ी हो परंतु जागरूक मतदाता इन बयान वीरों के मकड़जाल में नहीं फँसने वाला। छत्तीसगढ किसान, मजदूर, युवा, महिला, व्यापारी, कर्मचारी सबसे मिलकर बना है ऐसे में किसी भी एक वर्ग का शोषण छत्तीसगढ़ राज्य को कमज़ोर साबित करता है। हाल ही में मुफ़्त की रेवाड़ी में से एक शासकीय स्कूलो कालेजों की फीस माफ करने की एक नेता पार्टी के बयान बाजी ने मतदाताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर इन शासकीय स्कूलों, कालेजों में पर्याप्त शिक्षक नहीं है, प्रोफेसर नहीं है, कहीं खुद के भवन नहीं है, शिक्षा के स्तर उन्नत नहीं है वहाँ मुफ़्त की पढ़ाई कैसी होगी? शिक्षकों का, स्कूलों भवनों का खर्चा, मेंटेनेंस का पैसा आखिर शासन के पास आएगा कहाँ से? नशाखोरी में अवल्ल छत्तीसगढ़ जहाँ गाँव गाँव अवैध शराब, गाँजा आदि मादक पदार्थों के रिकार्ड तोड़ बिक्री हो रहे क्या ऐसे मुफ़्त शिक्षा का पैसा इन अवैध व्यापारों से आएगा? शराबबंदी कानून लागू होता तब कहा जा सकता था कि प्रदेश में शिक्षा, संसकृति का स्तर ऊँचा उठा है। नशे के अवैध व्यापार छत्तीसगढ़ के परिवारों किसानों, महिलाओं , युवाओं को स्वावलंबी बनाने में बाधक है।

किसानों के फसल उत्पादन से लेकर फसल का मुल्य बढ़ाया जाना चाहिए परंतु साथ में फसलों, सब्जीयों के उन्नत पैदावार, उचित रखरखाव की व्यवस्था की जानी चाहिए थी  ऐसा नहीं हो पाया।  योग्य व पढ़े लिखे युवाओं को शासकीय नौकरीयां पाने जिस तरह से बार बार न्यायालय के शरण लेने पड़ रहे ये शासन प्रशासन के अकर्मण्यता को दर्शाता है इन्हें संदिग्ध बनाता है। ऐसे शिक्षा,चिकित्सा, सड़क, बिजली, पानी के ढेरों समस्याओं समस्याओं के बीच छत्तीसगढ़ राज्य कराह रहा है और फल फूल रहा है तो बस  भ्रष्टाचार, कमीशन खाेरी, गुणवत्ता हीन, विकास कार्यों, नशे का अवैध व्यापार। इन समस्याओं के रहते जातिवाद और बेतुके घोषणाओं के भ्रम जाल में फंसने के बजाय‌ अधिक से अधिक जागरूक मतदाता मतदान करेगा इस बार, छत्तीसगढ़ के उन्नत भविष्य का स्वप्न होगा साकार।

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