आज हिंदुस्तान का दिल यानी मध्य प्रदेश का 68वां स्थापना दिवस है। हर साल की तरह इस साल भी इस खास दिन पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। चुनावी साल होने की वजह से यह कार्यक्रम दिलचस्प भी होने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मध्य प्रदेश की जनता को स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दी है और राज्य को देश के संकल्पों को साकार करने में अहम योगदान देने वाला बताया है। आज आपको प्रदेश के गठन और इसके नामकरण से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताते हैं।
पीएम मोदी की बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए मध्य प्रदेश के लोगों को बधाई दी है। उन्होंने लिखा “मध्य प्रदेश के अपने सभी परिवार के लोगों को स्थापना दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं। प्रदेश नित नई ऊंचाइयों को छू रहा है और अमृत काल में देश के संकल्पों को साकार करने में अहम भूमिका निभा रहा है। मैं यह कामना करता हूं कि यह राज्य प्रगति के पथ पर निरंतर अग्रसर रहे।
4 राज्यों से हुआ निर्माण
मध्य प्रदेश का निर्माण मध्य भारत जिसमें ग्वालियर चंबल इलाका आता है, सीपी एंड बरार, भोपाल और विंध्य प्रदेश से मिलकर हुआ। राज्य बनाने से पहले राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया। आयोग को ग्वालियर चंबल, भोपाल, विंध्य प्रदेश और महाकौशल को मिलाकर उत्तर प्रदेश के बराबर बड़ा राज्य बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इन सभी को मिलाकर मध्य प्रदेश का निर्माण हुआ।
लगा 34 महीने का समय
पुनर्गठन आयोग को उत्तर प्रदेश जैसा ही राज्य बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसमें सबसे मुश्किल काम चार राज्यों को मिलाकर एक करना था। ये मुश्किल इसलिए था क्योंकि पहले से मौजूद इन राज्यों की अपनी अलग-अलग संस्कृति और पहचान थी और सभी जगह विधानसभा भी थी। ऐसे में जब इन्हें एक साथ करने की प्रक्रिया शुरू की गई तो विरोध शुरू हो गया। सभी से बातचीत और समझौता कर आयोग को मध्य प्रदेश बनाने में 34 महीने का वक्त लग गया।
जवाहरलाल नेहरू ने दिया नाम
राज्यों को मिलाकर एक राज्य बनाने के दौरान आई तमाम मुश्किलों को पार करते हुए लगभग 34 महीने का वक्त गुजर गया। इसके बाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सामने रखी और उन्होंने इसे मध्य प्रदेश का नाम दिया। 1 नवंबर 1956 से मध्य भारत मध्य प्रदेश के नाम से पहचाना जाने लगा। मध्य प्रदेश के निर्माण के समय का नेहरू से जुड़ा एक रोचक किस्सा भी है जब उन्होंने राज्य का नक्शा देखकर यह कह दिया था कि ये कैसा ऊंट जैसा दिखने वाला राज्य बना दिया है।
भोपाल बना राजधानी
जब मध्य प्रदेश का गठन हो गया उसके बाद इसकी राजधानी को लेकर खींचतान शुरू हो गई। उस समय इंदौर और ग्वालियर सबसे बड़े नगर थे इसलिए उनकी दावेदारी सबसे आगे थी। इस दौरान राज्य के पहले सीएम रहे रविशंकर शुक्ल रायपुर को राजधानी बनाना चाहते थे और जबलपुर भी अपनी दावेदारी पेश कर रहा था। लेकिन सरदार पटेल की रणनीति और अपने भोपाल प्रेम को लेकर नेहरू ने इसे राजधानी बनाया।
जबलपुर ने नहीं मनाई दिवाली
राज्य की राजधानी बनने की दौड़ में जबलपुर अपनी प्रबल दावेदारी पेश कर रहा था। वहीं जिस समय भोपाल को राजधानी बनाया गया वह मात्र 50000 की आबादी वाला शहर था। इसे देखते हुए जबलपुर से एक प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, गोविंद वल्लभ पंत और मौलाना आजाद से मिलने पहुंचा लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। राजधानी ना बनाए जाने की इस बात से जबलपुर इतना आहत हुआ कि वहां के एक-दो घरों को छोड़कर किसी ने उस साल दिवाली नहीं मनाई। इसी के बाद सांत्वना स्वरूप जबलपुर को संस्कारधानी की उपमा दी गई, जो विनोबा भावे ने दी थी।
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