मरीज की जिंदगी बचाना हमारी प्राथमिकता में होनी चाहिए  : हाई कोर्ट

मरीज की जिंदगी बचाना हमारी प्राथमिकता में होनी चाहिए : हाई कोर्ट

बिलासपुर :  छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) की अव्यवस्था से नाराज छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने तत्काल प्रभाव से ओएसडी की नियुक्ति करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने दोटूक कहा कि मरीज की जिंदगी बचाना हमारी प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए। काम तो बहुत रहते हैं। यह काम सबसे ज्यादा जरुरी है। राज्य शासन के विधि अधिकारी से कहा कि मुख्य सचिव से चर्चा करें और जितनी जल्दी हो मेडिकल कालेजअस्पताल की व्यवस्था को दुरुस्त करने ओएसडी की नियुक्ति का प्रबंध करें।

बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एनके चंद्रवंशी के डिवीजन बेंच में जनहित याचिका की सुनवाई हुई। सिम्स की अव्यवस्था की जांच करने और रिपोर्ट पेश करने के लिए डिवीजन बेंच ने तीन अधिवक्ताओं को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था। बुधवार को सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच के समक्ष कोर्ट कमिश्नर और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य की रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के साथ कोर्ट के समक्ष कोर्ट कमिश्नर भी खड़े हुए थे। तीनों अधिवक्ताओं ने बारी-बारी अपनी रिपोर्ट पेश की और निरीक्षण के दौरान सिम्स परिसर के अलावा महत्वपूर्ण विभागों में पसरी गंदगी और व्याप्त अव्यवस्था के संबंध में डिवीजन बेंच के समक्ष मौखिक रूप से भी जानकारी दी। राज्य शासन की ओर से पेश रिपोर्ट में मैन पावर की कमी बताई गई है। अव्यवस्था को जल्द दूर करने की बात भी कही गई है।

एमआरआइ व एक्सरे विभाग में ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं

कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सिम्स के दो महत्वपूर्ण विभाग एमआरआइ व एक्सरे विभाग में ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं है। गंदगी इतनी कि मच्छर भिनभिनाते रहते हैं। एक्सरे कराने में एक मरीज को कम से कम 40 मिनट का समय लगता है। इतने देर में मलेरिया व डेंगू का खतरा भी बना रहता है। नियमित सफाई ना होने के कारण गंदगी बहुत है और मच्छर भी अधिक है। यह सुनकर चीफ जस्टिस अवाक रह गए।

स्मार्ट सिटी में मेडिकल कालेज अस्पताल का ऐसा हाल

कोर्ट कमिश्नरों की रिपोर्ट पढ़कर और उनकी बातें सुनकर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की हैरानी बढ़ गई। वे बोले बिना नहीं रह सके। उन्होंने कहा कि बिलासपुर स्मार्ट सिटी है। स्मार्ट सिटी के भीतर संचालित मेडिकल कालेज का ऐसा हाल है तो क्या कहें। नाराज सीजे ने कहा कि व्यवस्था सुधारने की दिशा में काेई ठोस कदम उठाए ही नहीं जा रहे हैं। यह अस्पताल है या गटर। इलाज के नाम पर यहां कुछ हो ही नहीं रहा है। कैसा मेडिकल कालेज अस्पताल है। यह तो हद हो गई। मरीज कैसे यहां रहते होंगे। भगवान ही मालिक है। एक कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि ड्रेनेज सिस्टम ना होने के कारण भारी अव्यवस्था है।टायलेट में गंदगी पसरी रहती है। मरीज और बीमार हो जाएगा।

गटर के बीच रखा है इलेक्ट्रिकल सामान

एक कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि जिस रूम में बिजली का सामान रखा हुआ है वह गटर से कम नहीं है। आधा हिस्सा गटर में तब्दील हो गया है। यहीं बिजली का महत्वपूर्ण सामान रखा हुआ है। सरकारी संपत्ति की ऐसी दुर्दशा और लापरवाही और कहीं देखने को नहीं मिलती। कोर्ट कमिश्नर ने यह भी जानकारी दी कि सिम्स की सुरक्षा और अन्य व्यवस्था के लिए बीते 10 वर्ष से एक ही एजेंसी काम कर रही है।






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