दिवाली में जलेंगे गोबर के रंगबिरंगे दीये, बाजार में हुई एंट्री

दिवाली में जलेंगे गोबर के रंगबिरंगे दीये, बाजार में हुई एंट्री

बिलासपुर : गोठानों के साथ जिले के अन्य महिला स्व सहायता समूह कर रहे तैयार दिवाली पर्व को लेकर इस बार लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। ऐसे में इस बार बड़े धूमधाम से पर्व मनने वाला है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए इसकी तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है। दिवाली बाजार सजने लगा है। इसी में खास है कि इको फ्रेंडली गोबर के दीये। इन्हें इस बार रंगबिरंगे बनाए गए हैं और ये बाजार में भी बिकने के लिए आ चुके हैं।

इस साल गोबर के दिए बनाने के लिए कई महिला स्व सहायता समूह सामने आए हैं। शहर व ग्रामीण क्षेत्र में संचालित होने वाले गोठानों में भी इनका निर्माण किया जा रहा है। कुम्हार भी मिट्टी के साथ ही गोबर के दीये बना रहे हैं। साफ है कि दिवाली के समय पर गोबर के दीयों की मांग बढ़ी है और घर-घर इसका उपयोग करना भी लोग पसंद कर रहे हैं। इसी वजह से इस बार बड़े पैमाने पर बाजार में मिट्टी के दीये आना शुरू हो गए हैं और इनकी बिक्री भी शुरू हो गई है। लोग अभी से इन गोबर के दीयों पर रुचि ले रहे हैं। इसकी वजह से जमकर खरीदारी हो रही है।

पर्यावरण के लिए रहता है बेहतर

गोबर के दीये इस बार दो प्रकार के बनाए गए हैं। इसमें पहला प्रकार सादा गोबर का दिया है जो पूरी तरह जलकर खत्म हो जाएगा। इसकी खास बात यह है कि यह पर्यावरण को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचता है बल्कि इसका धुंआ पर्यावरण में फैले हानिकारक वायरस को मारता है। वही दूसरी प्रकार का गोबर दिए रंगिबरंगे बनाया गया है, जिसका बार-बार उपयोग किया जा सकता है। इस दीये को रोशन करने से भी पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता है। इसलिए ही इसे इको फ्रेंडली दीये भी कहा जाता है।

ऐसे बनते हैं गोबर के दीये

सबसे पहले गोबर के कच्चे माल को बारीक़ पीसकर तैयार किया जाता है। इसके बाद तैयार मिश्रण से उत्पाद बनाने के लिए दीये के विभिन्न प्रकार के सांचे का उपयोग किया जाता है। आकार में ढाले जाने के बाद प्रोडक्ट को सूखने के लिए खुले वातावरण में रख दिया जाता है। यह 24 से 48 घंटे में पूरी तरह से सूखकर तैयार हो जाता है।

तीन रुपये से शुरू हो रहा दाम

गोबर से निर्मित दीये का मूल्य अलग-अलग निर्धारित किया गया है, जहां गोबर के सादे दीये तीन से पांच रुपये तक में बिक रहे हैं। इनके रंगबिरंगे दीये के छोटे-बड़े आकार के हिसाब से 10 रुपये व उससे ज्यादा दाम रखा गया है। उन्हें पैकेट बनाकर और दर्जन के हिसाब से बेचा जा रहा है। जानकारी के मुताबिक विभिन्न महिला स्व सहयता समूह और कुम्हार मिलाकर शहर में दो लाख से ज्यादा गोबर के दीये बेचने का लक्ष्य रखा गया है।

You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे

Comments

  • No Comments...

Leave Comments