गर्भावस्था में मां के खानपान का सीधा असर बच्चे के स्वास्थ्य पर पड़ता है। द एनवायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव्स जर्नल में छपी शोध रिपोर्ट के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान अगर मां के खाने मैं खास तरह के केमिकल होते हैं तो बच्चा मोटापे का शिकार होता है।
इसका सबसे ज्यादा असर
बच्चे के जन्म से 9 साल की उम्र तक नजर आता है। गर्भावस्था के दौरान नॉन-स्टिक बर्तनों, प्लास्टिक के बर्तनों में खाने या कॉस्मेटिक्स से पॉलीफ्लोरोएल्काइल पदार्थ पीएफएएस मां से अजन्मे बच्चे में जाते हैं। इससे जन्म से ही उसका वजन बढ़ने लगता है और वह मोटापे का शिकार हो सकता है। ये केमिकल खेतों में इस्तेमाल होने वाले फंगीसाइड्स और पेस्टिसाइड्स में भी पाए जाते हैं।
9 साल तक ज्यादा खतरा
यह शोध स्पेन में 2003 से 2008 तक 6 साल तक 1,900 से अधिक महिलाओं और बच्चों के नमूने इकट्ठे किए गए। इसके बाद बच्चों का 9 साल की उम्र तक बीएमआई नापा गया। एंडोक्राइन डिसरप्टिंग केमिकल के अधिक संपर्क में रहने वाले शिशुओं की लंबाई औसत से कम बढ़ती है।
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