पदोन्नति मामले में शिक्षकों को कोर्ट से मिली राहत, पदभार ग्रहण को लेकर अब भी संशय बरकरार

पदोन्नति मामले में शिक्षकों को कोर्ट से मिली राहत, पदभार ग्रहण को लेकर अब भी संशय बरकरार

प्रदेश के बहुचर्चित शिक्षक पदोन्नति मामले में कोर्ट की तरफ से शिक्षकों को राहत मिली है। उन्हें पुराने स्कूल पर पदभार ग्रहण करने के आदेश दिया गया है, लेकिन शिक्षा विभाग अभी भी संशय में है कि उन्हें पदोन्नति के बाद मिले स्कूल में पदभार ग्रहण करवाए अथवा संशोधन के बाद मिले स्कूल पर। शिक्षा विभाग न्यायालय के आदेश पर रायशुमारी के लिए महाअधिवक्ता को पत्र लिखा है। न्यायालय ने छात्रों के हितों को देखते हुए शिक्षकों को पदभार ग्रहण करने का निर्णय दिया है।

प्रदेशभर में लगभग तीन हजार शिक्षक चार सितंबर से कार्यमुक्त हैं। स्कूलों में शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। जब से शिक्षक कार्यमुक्त हुए हैं, तब से यानी दो महीने से उन्हें वेतन भी नहीं मिल रहा है। पदभार ग्रहण करने के बाद ही शिक्षकों को वेतन मिलेगा। छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक समग्र फेडरेशन के जिला अध्यक्ष हेमकुमार साहू ने बताया कि कोर्ट की तरफ से शिक्षकों को राहत दी गई है। हमने तीन महीने तक जिस स्कूल में पढ़ाया है, वही हमारा पूर्व स्कूल होना चाहिए। लेकिन विभाग अभी भी भ्रम की स्थिति में है। पूर्व स्कूल काउंसिलिंग वाला माने या संशोधन वाला। डीपीआइ के डायरेक्टर ने कहा कि शासन कोर्ट के आदेश पर महाअधिवक्ता से रायशुमारी किया जा रहा है। आदेश के आधार पर शिक्षकों का पूर्व स्कूल किसे माना जाए। आगे शासन की तरफ से जो भी आदेश होगा, उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

शिक्षा विभाग की तरफ से सहायक शिक्षकों को शिक्षक पद पर पदोन्नति दी। विभाग पदोन्नत शिक्षकों को काउंसिलिंग के जरिए स्कूल आवंटित किए। बहुत सारे शिक्षकों को ढाई से तीन सौ किलोमीटर दूर स्कूल मिला। शिक्षकों ने अपने बीमारी, पारिवारिक समस्या बताकर काउंसिलिंग में मिले संबंधित स्कूल में पदभार ग्रहण नहीं किया। इसके बाद संशोधन करवाकर नजदीक खाली स्कूल आवंटित करवाकर पदभार ग्रहण कर लिया। जून, जुलाई और अगस्त तीन महीने तक स्कूलों में पढ़ाया भी। इसके बाद संशोधन में हुई गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद शिक्षा विभाग ने संशोधन को निरस्त कर काउंसिलिंग में मिले स्कूल पर पदभार ग्रहण करने का आदेश निकाला। शिक्षकों ने विभाग के आदेश के कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट की सुनवाई करने से पहले विभाग ने काउंसिलिंग वाले शिक्षकों को कार्यमुक्त कर दिया। कोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, तब से अभी तक प्रदेश के तीन हजार शिक्षक कार्यमुक्त है।

शिक्षा विभाग ने जांच कमेटी बनाई है, जिसमें प्रमुख सचिव, डीपीआइ और प्रदेश के पांच संभाग के जेडी समिति में है। शिक्षकों को 25 नवंबर तक समित के सामने संशोधन के दौरान प्रस्तुत किए गए साक्ष्य के साथ अभ्यावेदन प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है। अभ्यावेदन मिलने के बाद 45 दिनों के अंदर कमेटी जांच करके निर्णय लेगी। शिक्षकों को काउंसिलिंग अथवा संशोधन किस स्कूल में पदभार ग्रहण करवाना है।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश मे आचार संहिता लागू है। तीन हजार शिक्षक होने के कारण पदभार ग्रहण कराने के लिए निर्वाचन आयोग से भी अनुमति लेना पड़ेगा। निर्वाचन आयोग की अनुमति के बाद ही शिक्षक पदभार ग्रहण कर पाएंगे।

 

 

 

 









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