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दीवाली पर इस प्रेरक कहानी से लें सीख, जहां पिता अपनी बेटी को मानते हैं मां लक्ष्मी का स्वरूप

दीवाली पर इस प्रेरक कहानी से लें सीख, जहां पिता अपनी बेटी को मानते हैं मां लक्ष्मी का स्वरूप

रायपुर देशभर में आज दीवाली पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। रोशनी के इस पर्व में धन-धान्य और ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है। माता-पिता भी अपनी बेटियों को देवी लक्ष्मी का ही स्वरूप मानते हैं। माता-पिता कहते हैं कि बेटियों के हाेने से ही घर में बहार रहती है। लक्ष्मी रूपी बेटियों के पांव पड़ते ही बेजान घर भी चमक और खुशियों की गूंज से महक उठता है। सुख और शांति बनी रहती है। दीवाली के इस खास पर्व पर शहर में कुछ ऐसे बेटियों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं, जिनके पिता अपनी बेटी को मां लक्ष्मी का स्वरूप मानते हैं।

जिस कालेज में करती है पढ़ाई उसी कालेज में कैंटीन चला रही सगी बहनें

पेशनबाड़ा निवासी गृहणी सरस्वती यदु कहती है कि उनकी दोनों बेटियां योगिता और विभांशी मां लक्ष्मी का ही रूप है। योगिता यदु (25 वर्ष) और विभांशी यदु (22 वर्ष) दोनों सगी बहनें गुरूकुल महिला महाविद्यालय में पिछले डेढ़ वर्ष से कैंटीन चला रही है। खास बात यह है कि दोनों बहनें उसी महाविद्यालय में एम.काम और बी.काम की पढ़ाई कर रही है।

योगिता यदु ने बताया कि उनके पिता राजेंद्र यदु पेशनबाड़ा में होटल चलाते थे, फरवरी 2022 में उनकी असमायिक मृत्यु हुई। जिसके बाद उन्होंने जुलाई में महाविद्यालय में कैंटिन चलाने के लिए टेंडर भरा। उन्होंने बताया कि मकान किराये और कैंटिन से उनका घर चलता है। सरस्वती यदु गृहणी और छोटा भाई सौरभ यदु 12वीं कक्षा में अध्ययनरत है।

अपने परिवार को कपड़े और मिठाई देने बच्चियों ने बनाया 44 हजार दीया

पुलिस परिवार द्वारा संचालित श्री प्रयास एजुकेशन सोसायटी, संतोषी के 400 से अधिक बच्चियां दीवाली में अपने परिवार को खुशी देने के लिए डिजाइनर दीये बनाकर बेच रहे हैं। पायल धीवर, यामनी वर्मा, अंजलि मिश्रा, नेहा साहू सहित अन्य बच्चियां अपने परिवार को नए कपड़े और मिठाई देने के लिए 44 हजार डिजाइनर दीये बनाये थे।

पुलिस विभाग के प्रधान आरक्षक महेश नेताम ने बताया कि पिछले पांच वर्ष से बच्चियां दीये बनाकर विक्रय कर रही रही हैं और इसके आय के पैसों से वे अपने परिवार के लोगों के लिए कपड़े और मिठाई खरीदते हैं। एक पैकेट की कीतम 50 रुपये होती है, जिसमें 12 डिजाइन दीये होते हैं। पुलिस और संस्था इस दीयों को खरीदते हैं। सभी बच्चियां अपने परिवार के लिए धन और ऐश्वर्य की देवी मां लक्ष्मी से कम नहीं है।

पिता के लिए बेटी का डीएसपी होना गर्व की बात

मूलत: रायगढ़ जिले के रहने वाले जेठूराम मेहर कहते हैं कि मेरी तीन बेटियां है और तीनों मेरे लिए मां लक्ष्मी के रूप में पूजनीय है। तीनों बेटियों में एक बेटी ललिता मेहर पुलिस विभाग में डीएसपी के पद पर पदस्थ है। एक समान्य किसान पिता के लिए गर्व की बात है जब उसकी बेटी पुलिस विभाग में डीएसपी हो। ललिता के साथ मेरी दोनों बेटियां भी किसी से कम नहीं है। कोराेनाकाल में जब पत्नि की मृत्यु हुई तो पूरे परिवार को संभालने में बेटियों ने की भूमिका रही। बेटियां ज्ञान, सुख, शांति की देवी होती है।






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