राजस्थान विधानसभा चुनाव की सियासी बाजी जीतने के लिए बीजेपी हरसंभव कोशिश में जुटी है. पांच राज्यों के चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा उम्मीदें भी राजस्थान से ही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद ही चुनावी कमान अपने हाथों में संभाल रखी है और ताबड़तोड़ रैलियां करके बीजेपी के पक्ष में सियासी माहौल बनाने में जुट गए हैं. राजस्थान का चुनाव प्रचार के खत्म होने के बाद, उसी दिन पीएम मोदी मथुरा में मीराबाई के 525वें जन्मोत्सव के कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. इस तरह चुनावी तपिश के बीच मीराबाई की भक्ति से बीजेपी को राजस्थान में क्या शक्ति मिल पाएगी, क्योंकि मीरा की प्रेम भक्ति की भूमि भले ही ब्रज रही हो, लेकिन जन्मभूमि राजस्थान ही है.
राजस्थान के राजपूत परिवार में जन्मीं मीराबाई ने 15 वर्षों तक ब्रज में रहकर कृष्ण की प्रेम भक्ति में लीन थी और बृज से उनका अटूट रिश्ता रहा है. भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में कृष्णभक्ति की प्रकाष्ठा की प्रतीक मीराबाई की 525वीं जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. 23 नवंबर को इस कार्यक्रम में पीएम मोदी शामिल होंगे. मीराबाई पर आधारित नृत्य नाटिका फिल्म अभिनेत्री और मथुरा की सांसद हेमा मालिनी खुद ही प्रस्तुत करेंगी. नृत्य नाटिका में भी पीएम नरेन्द्र मोदी शामिल होंगे. इस दौरान प्रधानमंत्री मीराबाई पर आधारित पांच मिनट की डॉक्यूमेंट्री देखेंगे, इसके साथ ही मीराबाई पर डाक टिकट भी जारी करेंगे.
मीराबाई के 525वें जन्मोत्सव में शामिल होंगे PM मोदी
भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा में 14 दिवसीय ब्रज रज उत्सव मनाया जा रहा है, जो 27 नवंबर तक चलेगा. इस दौरान पीएम मोदी 23 नवंबर को मथुरा पहुंचेंगे, जब राजस्थान में चुनाव प्रचार खत्म हो चुका होगा. विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी के बीच पीएम मोदी का मथुरा में मीराबाई जन्मोत्सव में शामिल होने के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. मीरा की भक्ति राजस्थान में भाजपा को शक्ति देगी, इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है. मीराबाई का जन्म राजस्थान के पाली जिले के कुडकी में एक राठौड़ राजपूत शाही परिवार में हुआ था.
पीएम मोदी भले ही कृष्ण की नगरी मथुरा में रहें, लेकिन उसकी सियासी प्रभाव यूपी तक नहीं बल्कि राजस्थान के चुनाव तक पड़ेगा. मथुरा से सटे राजस्थान के इलाके को भी ब्रज क्षेत्र का हिस्सा माना जाता है, जहां की बोली भाषा, भोजन, रहन सहन, वेशभूषा बिलकुल एक जैसी है. सदियों से यहां के लोगों के बीच आपसी संबंध और रिश्तेदारियां चली आ रही है. इतना ही नहीं पीएम मोदी मीराबाई के 525वें जन्मोत्सव कार्यक्रम में शामिल होने के लिए मथुरा पहुंच रहे हैं, क्योंकि कृष्ण भक्त मीराबाई का मथुरा में मंदिर भी है.
राजस्थान और कृष्ण नगरी का अटूट रिश्ता
धार्मिक रूप से भी राजस्थान और कृष्ण नगरी मथुरा का अटूट रिश्ता है. राजस्थान सरकार के अधीन कई मंदिर कृष्ण की नगरी में हैं. राजस्थान के राठौड़ शाही राजपूताना परिवार से संबंध रखने वाली मीरा का जन्मोत्सव राजस्थान के चुनावी रण में बीजेपी के लिए शक्ति के रूप में माना जा रहा है.भरतपुर की चुनावी जनसभा में भी पीएम मोदी ने पूरे ब्रज क्षेत्र का विकास कराने का भी ऐलान कर दिया है.
कृष्ण भक्त मीराबाई राजस्थान के राजघरानों से ताल्लुकात रखती थीं और राजपूत परिवार से आती हैं. आज भी राजस्थान के राजपूत राजघरानों में उनको बहुत श्रद्धा के साथ देखा और याद किया जाता है. ऐसे में माना जा रहा है कि 23 से 25 नवंबर तक विशेष तौर पर मनाया जा रहा कृष्ण भक्त मीराबाई के 525वें जन्मोत्सव राजस्थान में राजपूत मतदाताओं को आकर्षित करने का एक तरीका भी हो सकता है. मीराबाई की भक्ति के जरिए बीजेपी सिर्फ राजपूत वोटों की नहीं बल्कि राजस्थान के बृज क्षेत्र को साधने का दांव चल रही है.
राजस्थान में राजपूतों की जनसंख्या महज 7 फीसदी
2018 में बीजेपी राजस्थान में राजपूत वोटरों के नाराजगी के चलते ही सत्ता गवां दी थी, लेकिन इस बार कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. राजस्थान में राजपूतों की जनसंख्या महज 7 फीसदी, लेकिन राजनीतिक रूप से काफी ताकतवर माने जाते हैं. हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य के हर विधानसभा चुनाव में करीब 14 से 15 प्रतिशत विधायक इसी समुदाय के चुने जाते हैं.लोकसभा चुनावों में यह प्रतिशत कभी-कभी 20 प्रतिशत तक पहुंच जाता रहा है.
राजस्थान के करीब 120 विधानसभा सीटों से राजपूत समुदाय के प्रत्याशी कभी न कभी अपना परचम लहरा चुके हैं. यही वजह है कि बीजेपी इस बार के चुनाव में किसी भी सूरत में राजपूतों की नाराज नहीं करना चाहती है, जिसके लिए हरसंभव कोशिश कर रही है. राजस्थान में बीजेपी को तीन बार सत्ता दिलाने वाले दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत की जन्मशती के नाम पार्टी राजपूतों को जोड़ने का कार्यक्रम चलाया. महाराणा के वंशज विश्वराज सिंह मेवाड़ और करणी सेना के संस्थापक के पुत्र भवानी सिंह कल्वी को शामिल कराकर राजपूत वोटों के संदेश देने की कोशिश कर चुकी है और अब मीराबाई की भक्ति के जरिए राजस्थान की शक्ति हासिल करने की रणनीति कर रही है?
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