ED की शक्ति के मामले की SC में सुनवाई टली, 8 हफ्ते बाद अब नई बेंच में होगी

ED की शक्ति के मामले की SC में सुनवाई टली, 8 हफ्ते बाद अब नई बेंच में होगी

धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शक्ति के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान नया पेंच आ गया है. दो दिन की सुनवाई के बाद मामले की सुनवाई फिलहाल टल गई है. मामले को अब नई बेंच के पास भेजा जाएगा. जस्टिस संजय किशन कौल बेंच में नहीं रहेंगे, क्योंकि उनका 16 दिसंबर आखिरी कार्यदिवस है. अब आठ हफ्ते के बाद मामले की सुनवाई होगी. मामले को नई पीठ के गठन के लिए सीजेआई के पास भेजा गया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र को इस मामले में संशोधित प्रार्थना पर जवाब दाखिल करने की इजाजत दे दी.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की दलील को स्वीकार किया. केंद्र ने कहा था कि मौजूदा पीठ के न्यायाधीशों में से एक जल्द रिटायर होने वाले है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट PMLA के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिका पर दो दिन से सुनवाई कर रहा था.

दो दिनों की बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 27 जुलाई, 2022 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई आठ सप्ताह के लिए स्थगित कर दी.

पीएमएलए के मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए तर्कों को विस्तार से संबोधित करने के लिए समय मांगने के बाद शीर्ष अदालत ने सुनवाई टाल दी. पीठ ने कहा, ”स्थगन से इस अदालत को आदेश लिखने के लिए वास्तव में कोई समय नहीं मिलेगा.” उन्होंने कहा, ”हममें से एक (न्यायमूर्ति कौल) के पद छोड़ने के मद्देनजर भारत के मुख्य न्यायाधीश को पीठ का पुनर्गठन करना होगा.

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी द्वारा अपनी दलीलें पूरी करने के बाद, मेहता ने अपनी दलीलें आगे बढ़ाने के लिए समय मांगा और कहा कि अदालत को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) पर व्यापक दृष्टिकोण रखना होगा.

मेहता, जिन्होंने दलीलों में याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए “व्यापक कैनवास” पर बार-बार आपत्ति जताई थी, ने शुरुआत में फिर से इस मुद्दे को उठाया और कहा कि विपरीत पक्ष ने एक संशोधित याचिका दायर की है जो वस्तुतः पूरे पीएमएलए को चुनौती देना चाहती है. जिसकी वैधता समाप्त हो चुकी है. 2022 में समान शक्ति वाली पीठ द्वारा इसे बरकरार रखा गया. हालांकि, पीठ ने सिब्बल और सिंघवी की दलीलें सुनना जारी रखा, जो दोपहर 3 बजे के आसपास समाप्त हुई.

सॉलिसिटर जनरल ने जवाब के लिए मांगा समय

जैसे ही पीठ ने मेहता से अपनी बहस शुरू करने के लिए कहा, उन्होंने जवाब देने के लिए समय मांगा और कहा कि पहले याचिकाकर्ताओं ने पीएमएलए के केवल दो खंडों पर मुद्दे उठाए थे, लेकिन अपनी संशोधित याचिका में, उन्होंने प्रावधानों के पूरे सेट की वैधता पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा, ”उन्होंने प्रावधानों को चुनिंदा ढंग से पढ़कर टुकड़ों-टुकड़ों में कई मुद्दे उठाए हैं. मुझे दूसरे पक्ष द्वारा दी गई दलीलों का जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय चाहिए, न्यायमूर्ति कौल ने इस पीठ के लिए समय की कमी का हवाला देते हुए मामले की सुनवाई किसी अन्य दिन करने का अनुरोध किया.

पीठ और सॉलिसिटर जनरल के बीच विचार-विमर्श में शामिल होते हुए सिब्बल ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तृत विचार की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सीमित प्रश्न यह है कि क्या मामले को बड़ी पीठ के पास भेजने की जरूरत है. जस्टिस कौल ने सिब्बल से कहा कि उनके सामने एक सवाल यह है कि क्या अदालत बिना कोई विचार व्यक्त किए मामले को बड़ी पीठ को भेज सकती है.

बुधवार को दलीलें सुनते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि उसका सीमित दायरा यह है कि क्या 2022 के फैसले पर पांच न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ द्वारा पुनर्विचार करने की आवश्यकता है, जबकि केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया था कि पीएमएलए देश के लिए एक “महत्वपूर्ण कानून” था.

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