सूरजपुर : जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जहां नया पुलिया ही गायब हो गया है. इसको लेकर इन दिनों क्षेत्र में चर्चाएं जोरों पर है. दरअसल, भैयाथान विकासखंड के ग्राम करकोली और धरतीपारा के मार्ग पर स्थित गोबरी नाला है. जिसमें परियोजना मद से पुलिया का निर्माण होना था. जिसको लेकर प्रस्ताव पारित किया गया. शासन ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए यहां के ग्रामीणों को सुविधा मुहैया कराने के लिए इस नाले पर पुलिया बनाने के लिए 47 लाख 60 हजार रुपये स्वीकृत करते हुए जिले के RES विभाग को जिम्मेदारी सौंपी ताकि गुणवत्ता युक्त एक अच्छे पुल का निर्माण ग्रामीणों के आवागमन के लिए कराया जा सके और निर्माण में कोई कोताही ना हो.
इसके लिए RES विभाग को ही निर्माण एजेंसी भी बनाया गया था. लेकिन अधिकारियों की मेहरबानी के कारण आज भी यहां के ग्रामीण पहले की तरह ही नाला पार कर करकोली से धरतीपारा जाने को मजबूर है.
नहीं मिला पुलिया जिस स्थान पर हुआ है निर्माण
नाले के दोनों ओर बड़े-बड़े अक्षरों में पुलिया की लागत के साथ उसके निर्माण का दिनांक साफ स्पष्ट शब्दों में लिखा था. लेकिन वहां कोई भी पुल का नामो निशान नहीं था. वहीं कागजों पर तो यह पुलिया ग्रामीणों के आवागमन के लिए बनी हुई जरूर नजर आ रही थी.
जब इस संबंध में हमारी टीम ग्रामीणों से बात की तो उन्होंने बताया कि पूल 2020-2021 में निर्माण प्रतावित था. लेकिन इंजीनियर ये कह कर मना कर दिए की यह छोटा पुलिया और छोटा बजट है. यहां पुलिया बनेगा तो बड़ा ही बनेगा. जिसके बाद से अब तक पुलिया का निर्माण नहीं हुआ है.
जांच जारी है, तथ्य सामने आने पर होगी कार्रवाई
पुलिया की खोज में हमारी टीम RES विभाग के पास पहुंची लेकिन विभागीय अधिकारी समय ना होने की बात करते हुए टालमटोल कर कैमरे से बचते नजर आये तो मामले की जानकारी जिले के कलेक्टर संजय अग्रवाल को दी. जिसके बाद उन्होंने बताया कि जांच कमेटी बनाकर उनके द्वारा रिपोर्ट मंगाई गई थी. क्योंकि पुलिया की लागत कम थी और जिस जगह पुलिया का निर्माण होना था वहां पर उस राशि में पुलिया का निर्माण नहीं कराया जा सकता था. इसलिए पारित हुई पुलिया को करकोली से लगे ग्राम पंचायत मलगा में बनाया गया है. जांच अभी भी जारी है जैसे भी तथ्य सामने आएंगे उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी.
बरहाल सूरजपुर कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देश पर जांच कमेटी ने नदी पर से गायब हुई पुलिया तो जरूर खोज निकली. लेकिन जिस जगह के लिए पुलिया की आवश्यकता थी वहां आज भी ग्रामीणों को नाला पार कर ही एक तरफ से दूसरे तरफ जाना पड़ रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि ग्रामीणों की इस समस्या का निदान शासन प्रशासन कब तक कर पाती है और इस जगह पर पुल का निर्माण कब हो पाता है.
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