प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना जिसमें देश के विभिन्न रेलवे स्टेशनों को यूरोपियन देशों के तर्ज पर विकसित करने की योजना है।जिसमे अरबो रुपए की लागत से राज्य के कई स्टेशनों का विकास एवं जीर्णोद्धार करने का खाका तैयार किया गया स्वयं देश के प्रधानमंत्री ने इसका उद्धघाटन ऑनलाइन किया इसके तहत रेलवे प्रशासन ने गतिशक्ति नाम से अलग विभाग तैयार किया है। ताकि रेलवे के अन्य विभागों एवं निर्माण कार्य बाधित ना हो। पर यह दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। कम से कम भाटापारा स्टेसन क्षेत्र के विकास कार्यों को देखते हुए तो यह कहा ही जा सकता है।
निगरानी की कमी
गतिशक्ति विभाग तो बना दिया गया है। पर इस विभाग में नई भर्ती नहीं हुई है अपितु पुराने विभाग से इंजीनियर एवं एवं स्टाफ को निकाल कर गति शक्ति में डाल दिया गया है।
पुराने कार्य बाधित, नये कार्य में गुणवत्ता की कमी
इस वजह से पुराने निर्माणाधीन कार्य बाधित हो रहे हैं वरन नए अमृत महोत्सव तथा गति शक्ति के अरबो रुपए के कार्य निरीक्षण के अभाव में कमजोर एवं गुणवत्ताहीन हो रहे हैं एक इंजीनियर को लगभग 10 से 12 स्टेशनों का कार्य देखना पड़ रहा है।
नहीं दे पा रहे पर्याप्त समय
इंजीनियर एवं स्टाफ की कमी से कार्य का उचित निरीक्षण नहीं हो पा रहा है। जिससे निर्माण कार्य की गुणवत्ता अनुकूल नहीं हो रहा है निरीक्षण के अभाव में एजेंसियां अपनी मनमानी कर रहे हैं
छवि हो रही धूमिल
आज तक यह समझा जाता रहा है कि रेलवे प्रशासन गुणवत्ता एवं निर्माण कार्य की मजबूती से कभी समझौता नहीं करती पर वर्तमान परिदृश्य से यह भ्रम दूर होता नजर आ रहा है तथा रेलवे अपनी पुरानी छवि जिसमें आमजन यह कहते नहीं थकते थे कि रेलवे के द्वारा किया गया कार्य अन्य विभागों के किए गए कार्यों से लाख टक
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