उत्तरकाशी सुरंग रेस्क्यू अभियान रहा सफल, लेकिन दे गया ये 5 बड़ी सीख

उत्तरकाशी सुरंग रेस्क्यू अभियान रहा सफल, लेकिन दे गया ये 5 बड़ी सीख

उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचा लिया गया. ऑपरेशन जिंदगी पूरी तरह सफल रहा, मजदूर अब सकुशल अपने परिवार के साथ हैं. उन्हें बचाने के लिए चल रहे प्रोजेक्ट जिंदगी की ये सफलता उन मजदूरों के लिए किसी दूसरी जिंदगी से कम नहीं है. उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल में 12 नवंबर की सुबह काम कर रहे 41 श्रमिक सुरंग धंसने से फंस गए थे, उसी दिन राहत कार्य शुरू कर दिया गया था, लेकिन इसे कामयाबी 28 नवंबर को मिल सकी थी.

17 दिन तक मजदूर सुरंग में फंसे रहे और हर पल राहत आने का इंतजार करते रहे. बचाव दल भी पूरी शिद्दत से जुटा रहा. बाधाएं आईं, नई समस्याओं से सामना हुआ, लेकिन राहत दल ने हार नहीं मानी. आखिरकार राहत टीम की कोशिशों के आगे पहाड़ जैसी मुश्किलों को हारना पड़ा और सुरंग में फंसे सभी मजदूर सकुशल बाहर आ गए. बेशक ये ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा, लेकिन ये कुछ ऐसी सीख दे गया जो जीवन भर याद रहने वाली हैं. BRO के पूर्व डीजी और बचाव मिशन के तकनीकी सलाहकार रहे लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह (रिटायर्ड) ने ऐसी पांच सीखों के बारे में बताया है.

ये हैं वो पांच सबक

17 दिन तक मजदूर सुरंग में फंसे रहे और हर पल राहत आने का इंतजार करते रहे. बचाव दल भी पूरी शिद्दत से जुटा रहा. बाधाएं आईं, नई समस्याओं से सामना हुआ, लेकिन राहत दल ने हार नहीं मानी. आखिरकार राहत टीम की कोशिशों के आगे पहाड़ जैसी मुश्किलों को हारना पड़ा और सुरंग में फंसे सभी मजदूर सकुशल बाहर आ गए. बेशक ये ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा, लेकिन ये कुछ ऐसी सीख दे गया जो जीवन भर याद रहने वाली हैं. BRO के पूर्व डीजी और बचाव मिशन के तकनीकी सलाहकार रहे लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह (रिटायर्ड) ने ऐसी पांच सीखों के बारे में बताया है.

ये हैं वो पांच सबक

सफलता: टनल से मजदूरों को बचाने के लिए चल रहे प्रोजेक्ट जिंदगी में निर्णायक मोड़ तब आया जब बचाव दल ने श्रमिकों से बातचीत की. आठ इंच के पाइप से ये बातचीत संभव हो सकी, इसी पाइप की बदौलत मजदूरों की जरूरत की सामान, खाना-पीना और अन्य चीजें भेजी जा सकीं.

भूवैज्ञानिक और भू-तकनीकी अध्ययन का महत्व: देश विकास के दौर में हैं, सड़क के लिए सुरंग बनाने के मामलों में तेजी आई है, लेकिन हिमालय के नाजुक भूविज्ञान को देखते हुए हमें भू-तकनीकी और भूवैज्ञानिक अध्ययन पर जोर देने की जरूरत है. हिमालय युवा पर्वत हैं जो उतना ठोस नहीं, इसलिए कोई भी परियोजना शुरू करने से पहले हमें पहाड़ के अपेक्षित भूवैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है.

निर्माण परियोजनाओं और सुरंगों के लिए मानदंड : हमें सुरंग के लिए नए बेंचमार्क और निरीक्षण मानक स्थापित करने पर जोर देने की आवश्यकता है, ताकि श्रमिकों की सुरक्षा, निर्माण की सुरक्षा और सुरंगों के दीर्घकालिक रखरखाव को पूरा किया जा सके. उपकरणों का रखरखाव भी बेहद महत्वपूर्ण है. साइट पर जो उपकरण हैं, विशेष तौर पर बचाव कार्यों के लिए वे वैश्विक मानकों के अनुरूप होने चाहिए. बचाव कार्य के बारे में श्रमिकों को नियमित तौर पर प्रशिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे आश्चर्यचकित न हों.

एसओपी लगाएं: किसी आकस्मिक स्थिति में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों की पहचान करें. यह तय करने के लिए एक एसओपी लगाएं कि जिला प्रशासन, पुलिस और जिला मजिस्ट्रेट के साथ समन्वय कौन करेगा.

एस्केप सुरंगों की योजना: 4 किमी से अधिक लंबी किसी भी सुरंग में एक एस्केप सुरंग होनी चाहिए. यह एक पायलट की तरह काम करता है. बचाव सुरंगें आम तौर पर मुख्य सुरंग से 200-300 मीटर आगे होती हैं. वे आपको उस क्षेत्र में आने वाले भूविज्ञान के बारे में पहले से सचेत करती हैं.

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