छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सीएम फेस का ऐलान होने के बाद राजस्थान में नेताओं की धड़कनें तेज हैं. प्रदेश में सीएम की कुर्सी पर कौन बैठेगा, ये आज साफ हो जाएगा. आज विधायक दल की बैठक में नवनिर्वाचित विधायक अपने नेता को चुनेंगे. इससे पहले पर्यवेक्षक भी विधायकों और वरिष्ठ नेताओं का मन टटोलेंगे. हालांकि राजस्थान में क्या होगा इसके कयास अभी से लगाए जाने लगे हैं. राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सीएम फेस से चौंकाने वाली भाजपा राजस्थान में भी किसी नए चेहरे को कमान दे सकती है. हालांकि कुछ लोगों का ये भी मानना है कि वसुंधरा राजे अपनी तरफ से कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगी.
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्रचंड जीत के बाद ही तीनों प्रदेशों में किसी नए चेहरे को मौका दिए जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं, हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञ खुद स्पष्ट नहीं थे कि आखिर मौका किसे दिया जाएगा. दोनों ही प्रदेशों में भाजपा आलकमान ने सारी अटकलों और कयासों को ध्वस्त कर दिया. रविवार को छत्तीसगढ़ में विष्णु देव सहाय को सीएम फेस घोषित करने के साथ ही भाजपा ने ये जता दिया था कि वह एमपी में भी बड़ा उलटफेर कर सकती है. सोमवार को मध्य प्रदेश में भी वही हुआ और रेस में जितने भी नाम थे, सभी को पीछे छोड़ते हुए मोहन यादव को सीएम बना दिया गया. अब सबकी निगाहें राजस्थान पर हैं.
राजस्थान में बुलाई गई विधायक दल की बैठक
राजस्थान के लिए भाजपा ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और राज्यसभा सांसद सरोज पांडे को पर्यवेक्षक बनाया है. आज सुबह ये राजस्थान पहुंच जाएंगे. इसीलिए विधायक दल की बैठक भी बुला ली गई है. यहां सीएम पद की रेस में सबसे आगे वसुंधरा राजे ही बताई जा रही हैं. अन्य दावेदारों में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, गजेंद्र सिंह शेखावत, सतीश पूनिया, राजकुमारी दीया, पूर्व सांसद महंत बालकनाथ और पूर्व राज्यसभा सदस्य किरोड़ी लाल मीणा हैं. इनमें महंत बालकनाथ और किरोड़ी लाल मीणा अप्रत्यक्ष रूप से खुद को रेस से बाहर कर चुके हैं. सोशल मीडिया पोस्ट पर महंत बालक नाथ ने एक संदेश में लिखा है कि अभी सीखने के लिए बहुत कुछ है. वहीं किरोड़ी लाल मीण ने साफ तौर पर कहा कि वह सीएम पद की रेस में नहीं हैं.
वसुंधरा के तेवर भाजपा के लिए खतरे की घंटी
राजस्थान में सीएम कौन होगा ये अब तक साफ नही, लेकिन वसुंधरा राजे खुद को रेस में बनाए हैं. पिछले 24 घंटे से वसुंधरा राजे के घर समर्थकों का तांता लगा हुआ है. कुछ विधायक सार्वजनिक रूप से कुछ छिपते-छिपाते वसुंधरा से मिल रही हैं. दावा तो यहां तक किया जा रहा है कि कोटा उत्तर से हारे हुए विधायक प्रहलाद गुंजल वसुंधरा राजे के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. उनके साथ 20 विधायकों के होने के दावा किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि राजस्थान के तकरीबन 45 विधायकों ने राजे से मुलाकात की है. विधायक रामस्वरूप लांबा और कालीचरण सराफ ने खुले तौर पर राजे का समर्थन करने का ऐलान किया है.
बाड़ाबंदी का लगा था आरोप
इससे पहले ही वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह और एक विधायक पर विधायकों की बाड़ाबंदी का आरोप लगा था, ये आरोप खुद भाजपा विधायक ललित मीणा के पिता हेमराज मीणा ने लगाया था. उनका आरोप था कि उनके बेटे और पांच अन्य विधायकों को एक रिसॉर्ट में रखा गया हालांकि विधायक कंवर लाल मीणा ने इन आरोपों को गलत बताया था और कहा था कि विधायक अपनी मर्जी से मिलने गए थे. ललित मीणा को इसलिए रोका गया, क्योंकि रात में ढाई बजे उन्हें 30 से 35 लोग लेने आए थे, जब उनके पिता आए तो उन्हें जाने दिया गया था.
क्या वसुंधरा को मिलेगा फायदा?
वसुंधरा को राजस्थान में इस लामबंदी से फायदा मिलेगा या नहीं ये बड़ा सवाल है. भाजपा नेता खुद कहे हैं कि इस शक्ति प्रदर्शन से तय नहीं होगा कि राजस्थान में सीएम कौन बनेगा. सीएम वही बनेगा जिसे आलकमान तय करेगा. इससे पहले नेता प्रतिपक्ष रहे राजेंद्र राठौड़ ने भी वसुंधर राजे पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि राजस्थान में भाजपा को जीत पीएम मोदी के चेहरे पर मिली है. कोई इस गलतफहमी में न रहे कि पार्टी को उसने जीत दिलाई है.
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