कांग्रेस सांसद धीरज साहू से जुड़े ठिकानों से 350 करोड़ रुपये की नकदी मिलने के बाद उनकी पहली प्रतिक्रिया आई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि बरामद हुए पैसों का कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल से लेना-देना नहीं है. ये पैसा उनके बिजनेस का पैसा है, जो उनका संयुक्त परिवार चलाता है.
साहू परिवार के स्वामित्व वाली कंपनी बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड और संबंधित कंपनियों के खिलाफ आयकर की तलाशी 6 दिसंबर को शुरू हुई थी, जो शुक्रवार, 15 दिसंबर तक चली.
रिकॉर्ड की बरामदगी, लंबी तलाशी और नकदी से भरी अलमारियों का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, बीजेपी ने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकप्रिय टीवी सीरीज 'मनी हाइस्ट' का संदर्भ लेकर पार्टी पर कटाक्ष भी किया.
"जो पैसा बरामद हुआ वो मेरी कंपनी का है"
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में धीरज साहू ने कहा कि, वह लगभग 35 सालों से सक्रिय राजनीति में हैं और यह पहली बार है कि उन पर इस तरह का आरोप लगाया गया है.
उन्होंने कहा कि, "मैं आहत हूं और मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि जो पैसा बरामद किया गया है, वह मेरी कंपनी का है. हम 100 साल से अधिक समय से शराब का कारोबार करते हैं. मैं राजनीति में व्यस्त रहता हूं और इसलिए मैंने कारोबार पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया. मेरा परिवार सब कुछ देखता है. मैं समय-समय पर बस यही पूछता रहता था कि चीजें कैसी जा रही हैं."
"ये पैसा शराब की बिक्री से है, शराब में बिक्री नकद में होती"
झारखंड से राज्यसभा सांसद साहू ने कहा कि उनका एक बड़ा, संयुक्त परिवार है और उनके सहित छह भाई बिजनेस से जुड़े हैं. उनके बच्चे भी कंपनी से जुड़े हैं. उन्होंने कहा...
"जो पैसा बरामद किया गया है, वह शराब कारोबार में शामिल हमारी फर्मों से संबंधित है. हमारा कारोबार पारदर्शी है. यह पैसा शराब की बिक्री से है और यह नकद में है क्योंकि शराब कारोबार में बिक्री नकद में होती है. इसका कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. यह मेरी कंपनियों का पैसा है."
"कुछ कंपनियां मेरे रिश्तेदारों की हैं": उन्होंने कहा कि, "कुछ कंपनियां मेरे रिश्तेदारों की हैं और बौध डिस्टिलरी प्राइवेट लिमिटेड के परिसर से कोई पैसा बरामद नहीं हुआ है, जहां शराब बनाई जाती है. यह पैसा मेरा नहीं है, यह मेरे परिवार के साथ-साथ संबंधित कंपनियों का है. ये मामला मेरे परिवार और आयकर विभाग के बीच का है. जरूरत पड़ने पर परिवार के सदस्य आयकर विभाग को स्पष्टीकरण देंगे. हम अधिकारियों के साथ सहयोग करेंगे."
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