भारत को मंदिरों को देश कहा जाता है, यहां छोटे-बड़े लाखों मंदिर हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर भारत में नहीं बल्कि कंबोडिया में स्थित है, जो अंकोरवाट के नाम से जाना जाता है और दुनिया भर में बहुत प्रसिद्ध है. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. देश- विदेश से लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं. यहां की शोभा इतनी भव्य है कि यहां आने वाले सभी पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. माना जाता है कि फ्रांस से आजादी मिलने के बाद अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया की पहचान बन गया और इस मंदिर की तस्वीर कंबोडिया के राष्टीय ध्वज पर भी बनी हुई है.
अंकोरवाट मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है. अंकोरवाट मंदिर को यशोधरपुर के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर 402 एकड़ जमीन में फैला हुआ है. कहा जाता है की इस मंदिर को बनाने के लिए लाखों रेेत के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था और एक पत्थर का वजन डेढ़ टन है.
अंकोरवाट मंदिर का इतिहास
मिकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में अंकोरवाट मंदिर का निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय के शासनकाल में हुआ था. यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जो अपनी भव्यता के लिए संसार भर में जाना जाता है. अंकोरवाट मंदिर को 1992 में यूनेस्को ने विश्व विरासत में भी शामिल किया है.
मंदिर की दीवारों पर है रामायण और महाभारत के प्रसंग
माना जाता है की अंकोरवाट मंदिर की दीवारों पर रामायण और महाभारत के प्रसंग का चित्रण है, जिनमे अप्सराएं बहुत ही सुंदर चित्रित की गई हैं. इस मंदिर में असुर और देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन को भी दिखाया गया है. अंकोरवाट मंदिर में वास्तु शास्त्र का अनुपम सौंदर्य है जिसको देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक यहां आते हैं.
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