परमेश्वर राजपूत,गरियाबंद : फिंगेश्वर विकासखंड से लगभग 10 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत सिर्री कला में एक दिव्यांग महिला 58 वर्षीय दयावती बचपन से ही दिव्यांग है। जो अपने पैर में नहीं दोनों हाथ में चप्पल पहनकर चलती है। इनकी यह स्थिति देखकर आपकी आंखें नम हो जाएगी। क्योंकि वह आज तक आसपास के गांव भी नहीं देखी है ना ही अपने गांव से कहीं बाहर निकल पाई है। महज 350 रुपए के पेंशन से जीवन निर्वहन कर रही है। वहीं 10 किलो राशन से जिंदगी का गुजर बसर करने को मजबूर है आय का कोई साधन नहीं होने के बाद खुशी खुशी जीवन यापन कर रही है ।पर भगवान से कोई शिकायत नहीं। परिवार का सहारा नहीं फिर भी अकेले जीवन यापन कर रही हैं ये दिव्यांग महिला। इनके परिवार में कुल चार भाई बहन थे जिसमें तीन भाइयों में से एक की मौत हो चुकी है दो भाई हैं जिससे बातचीत नहीं है। कभी कभी दया कर इन्हीं के भाइयों के परिवार वाले कुछ मदद कर दें तो ठीक नही करें तो ठीक कुल मिलाकर जिंदगी भगवान भरोसे है। पर हैरानी की बात यह है कि ऐसे दिव्यांग जनों के ऊपर समाज कल्याण विभाग गरियाबंद और दिव्यांग कल्याण संघ की भी नजर आज तक नहीं पड़ी है ।तथा सरकारी योजना का लाभ नही मिला है।और ये सरकारी विभाग और संघ सोशल मीडिया और अखबारों में जायदा नजर आती है। अगर किसी को योजना का लाभ मिल जाए तो अखबारों में ही ढिंढोरा पीटा जाता है। पर असल में जरूरतमंदों के पास आज भी विभाग कल्याणकारी योजनाएं नहीं पहुंचा पा रहे हैं। बेबस दयावती किसी जीव जंतुओं की तरह दोनों हाथ और दोनो पैरों से चलते हैं। यह कुदरत का एक प्रकार का अभिशाप जैसा ही है, जिसे दयाबती सहर्ष ही स्वीकार कर जीवन जी रही हैं, पर क्या सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा और दयावती को मोटराइजड ट्राईसिकल मिल पाएगा यह बड़ा सवाल है।साथ ही दयावती ने पेंशन की राशि बढ़ाने और अपनी 10 किलो राशन की जगह 35 किलो राशन बढ़ाने की मांग कर रही है और मिलने के इंतजार में बैठी है।
पर शायद ना तो कोई जनप्रतिनिधि ना कोई सामाजिक संस्था न किसी प्रकार की सरकारी योजनाओं का लाभ इसको मिल रहा है तो वहीं सरपंच प्रतिनिधि की मानें तो पूर्व में समाज कल्याण विभाग के लोग आए थे और इनकी दिव्यांगता को कम बताए । जिस कारण इनको शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है तो कई ऐसे भी लोग हैं जो इस समाज में फर्जी रूप से दिव्यांगता का प्रमाण पत्र लेकर आसानी से शासन प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर सरकारी नौकरी कर रहे हैं। इस प्रकार शारीरिक रूप से पूर्ण दिव्यांग दयावती की दिव्यंगता को सरकारी अस्पताल के डॉक्टर और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी कम बता रहे हैं। तो इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है। बहर हाल देखना होगा कि शासन की योजनाओं का लाभ इसे मिल पाएगा की नही या फिर बाकी जिंदगी भी इस दिव्यांग को ऐसे ही गुजारना पड़ेगा?
Comments