रायपुर : सबसे बड़े अस्पताल की सबसे बड़ी समस्या जांच मशीनें पुरानी, संख्या कम, वेटिंग ज्यादा

रायपुर : सबसे बड़े अस्पताल की सबसे बड़ी समस्या जांच मशीनें पुरानी, संख्या कम, वेटिंग ज्यादा

रायपुर : जांच का अधिक बोझ सहकर काफी पुरानी हो चुकी जांच मशीनें कभी भी बिगड़ जाती हैं। आंबेडकर अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए इन मशीनों को बदलने सहित अन्य कमियों को दूर करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। इसके अलावा सालों से लंबित चिकित्सक सहित स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती के लिए नई सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। राज्य में मरीजों के उपचार का सबसे ज्यादा बोझ आंबेडकर अस्पताल पर है। यहां आने वाले मरीजों का इलाज शुरू करने के लिए सोनोग्रॉफी, एक्सरे, एमआरआई अथवा सीटी स्कैन जांच की आवश्यकता होती है। 

जानकार सूत्रों का कहना है कि अस्पताल में सबसे पहले इन मशीनों को बदलने अथवा इनकी संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। सीमित संख्या और लगातार उपयोग की वजह से जांच मशीनें काफी हद तक साथ छोड़ने की कगार पर हैं और अक्सर जांच के दौरान इसमें खराबी आने की शिकायतें सामने आती हैं। इसकी वजह से मरीजों को जांच के लिए न केवल लंबा इंतजार करना पड़ता है, बल्कि कई बार उनका उपचार भी प्रभावित होता है।

कैंसर, डायग्नोसिस सुविधा अपडेट करने की आवश्यकता

आंबेडकर अस्पताल में संचालित कैंसर विभाग की कुछ मशीन दस साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी है। इन मशीनों को बदलने की बेहद आवश्यकता है। इसी तरह नई बेकीथैरेपी मशीन और सालों से बंद पड़ी पैट सीटी मशीन को प्रारंभ करने की जरूरत है। डायग्नोसिस तथा रेडियोलॉजी विभाग के उपकरणों और मशीनों को अपडेट करने की आवश्यकता है।

बनाई गई थी विभागवार सूची

रायपुर मेडिकल कॉलेज सहित राज्य के अन्य शासकीय कॉलेजों में जरूरी उपकरणों की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए छह माह पहले चिकित्सा शिक्षा संचालनालय स्तर पर विभागवार सूची तैयार की गई थी। इसका उद्देश्य सभी चिकित्सा महाविद्यालयों से संबंधित अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवा का आकलन कर कमियां दूर करना था।

निर्माण संबंधी मामले भी अटके

आंबेडकर अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए कुछ आवश्यक निर्माण की योजना भी बनाई गई थी। इसके तहत करीब 50 करोड़ से अधिक राशि खर्च कर कैंसर विभाग के भवन का एक्सटेंशन करने की योजना को स्वीकृति दी गई थी। योजना तो स्वीकृत हुई, मगर राशि नहीं मिली। एमसीएच और ट्रामा सेंटर के निर्माण के लिए केंद्र सरकारी द्वारा राशि का आवंटन कर दिया गया, मगर राज्यांश के लिए बजट के अभाव में दोनों योजनाओं का काम ठंडा पड़ा रह गया।

आंकड़ों में आंबेडकर अस्पताल

■1300 बेड की क्षमता वाला आंबेडकर अस्पताल
■ 18 सौ से दो हजार की नियमित ओपीडी, ढाई सौ की आईपीडी
■ 95 फीसदी मरीजों को रेडियोलॉजी, डायग्नोसिस जांच की जरूरत

जांच मशीनें और आवश्यकता

■ डिजिटल एक्सरे मशीन कुल चार, आवश्यकता छह से आठ मशीनों की
■ एमआरआई मशीन - एक खराब पड़ी, एक चालू हालत में, जरूरत एक और मशीन की
■ सीटी स्कैन- एक खराब, एक धीमी गति से चल रही, आवश्यकता तीन मशीनों की
■ सोनोग्रॉफी मशीन - कुल संख्या 6, उपयोग हो रहीं चार, जरूरत दोगुनी मशीनों की

तैयार करेंगे प्रस्ताव

आंबेडकर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसबीएस नेताम ने बताया कि, जरूरत के हिसाब से विभागवार जरूरी मशीनों का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। मरीजों की जांच के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ मशीने पुरानी हो चुकी है। रिक्त पदों पर भर्ती के लिए भी प्रयास किया जाएगा।

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