देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते दैनिक मामले अब स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ाने लगे हैं। पिछले 10 दिनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि रोजाना औसतन 500-600 नए मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रविवार (31 दिसंबर) को सुबह 8 बजे अपडेट किए गए आंकड़े और भी डराने वाले हैं। पिछले 24 घंटे में देश में कोविड-19 के 841 नए मामले सामने आए हैं, जो 227 दिनों में सबसे अधिक है। इसके साथ अब एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 4,309 पहुंच गई है। गौरतलब है कि इससे पहले 19 मई को 865 केस दर्ज किए गए थे।
साल 2019 में इसी समय शुरू हुई कोरोना महामारी को चार साल हो गए हैं, पर इसका जोखिम अब भी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। चार वर्षों में देशभर में 4.5 करोड़ से अधिक लोग संक्रमित हुए और 5.3 लाख से अधिक मौतें हुईं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ मौजूदा संक्रमण के मामलों के लिए कोरोना के नए JN.1 वैरिएंट को प्रमुख कारण मान रहे हैं। अध्ययनों में इसकी संक्रामकता दर अधिक बताई जाती है, साथ है ये वैरिएंट आसानी से शरीर में वैक्सीन-संक्रमण से बनी प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देकर लोगों में संक्रमण बढ़ाने वाला पाया गया है, जिसको लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं।
अभी अच्छी है रिकवरी रेट
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच राहत की बात ये है कि अधिकतर संक्रमित आसानी से ठीक हो रहे हैं। ज्यादातर लोगों में संक्रमण के हल्के लक्षण देखे जा रहे हैं। मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, बीमारी से ठीक होने वाले लोगों की संख्या 4.4 करोड़ से अधिक है, रिकवरी रेट 98.81 प्रतिशत है, जो अच्छा सूचक है। इसके अलावा देश में अब तक वैक्सीन की 220.67 करोड़ डोज दी जा चुकी है, जो गंभीर रोग से बचाने में मदद कर रही है।
हालांकि JN.1 वैरिएंट की प्रकृति जरूर चिंता बढ़ा रही है। इससे किसी को भी सुरक्षित नहीं माना जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स में वैक्सीन की बूस्टर डोज ले चुके लोगों को भी संक्रमित पाया गया है, इस खतरे को देखते हुए विशेषज्ञ सभी लोगों को गंभीरता से कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते रहने की सलाह देते हैं।
क्या आ सकती है एक और लहर?
जिस गति से JN.1 वैरिएंट के कारण भारत सहित दुनिया के कई देशों में संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, उसको देखते हुए बड़ा सवाल ये है कि क्या देश में कोरोना की एक और लहर आ सकती है?
अमर उजाला से बातचीत में डॉक्टर्स कहते हैं, फिलहाल ऐसी आशंका कम है। JN.1 के कारण संक्रमण जरूर बढ़ रहा है पर रोग की गंभीरता कम है। JN.1 भी ओमिक्रॉन का ही म्यूटेटेड स्वरूप है और ओमिक्रॉन के अब तक के वैरिएंट्स से लोगों में ज्यादा जोखिम नहीं देखा गया है। पिछले डेढ़ साल से ओमिक्रॉन के वैरिएंट्स देश में हैं, कई लोग इनसे संक्रमित भी हो चुके हैं इस वजह से भी शरीर में प्रतिरक्षा विकसित हो सकती है, जो अगले संक्रमण या संक्रमण की स्थिति में गंभीर रोग के खतरे से बचान में मदद कर सकती है।
हालंकि कुछ रिपोर्ट्स में विशेषज्ञों ने अलर्ट किया है कि नए साल के जश्न-पार्टियों के दौरान संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं, इसलिए अगले 10 दिन चुनौतीपूर्ण हैं।
JN.1 के कारण गंभीर रोग का खतरा कम
JN.1 को इसके तेजी से फैलने वाली प्रकृति के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (वीओआई) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इंफेक्शियस डिजीज यूनिसन मेडिकेयर एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई के डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहते हैं, जब तक JN.1 वैरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी) नहीं बनता, तब तक इसके कारण ज्यादा परेशान होने का जरूरत नहीं है।
हालांकि कोमोरबिडिटी वाले व्यक्तियों में संक्रमण की स्थिति में गंभीर रोग विकसित होने और कोविड से मृत्यु का खतरा अधिक हो सकता है। ऐसे लोगों को विशेष बचाव की आवश्यकता है।
वैक्सीनेशन दे रही है गंभीर रोग से सुरक्षा
JN.1 वैरिएंट की संक्रामकता और गंभीरता को लेकर द पीडियाट्रिक इंफेक्शियस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट से पता चलता है कि अमेरिका में इस नए वैरिएंट से संक्रमित अधिकांश मरीजों (88.4%) का टीकाकरण नहीं हुआ था। जिस आधार पर वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन, कोरोना के संक्रमण और गंभीर रोग से बचाने में सहायक है।
भारत के नजरिए से देखें तो यहां अधिकतर लोगों को वैक्सीन की दो डोज के बाद बूस्टर शॉट भी मिल चुका है, जो संक्रमण की स्थिति में गंभीर रोग से बचाने में मददगार है। इसे देखते हुए देश में JN.1 के कारण हालात बिगड़ेंगे इसकी आशंका कम है, पर विशेषज्ञ सभी लोगों को निरंतर सावधानी बरतते रहने की सलाह देते हैं, जिससे संक्रमण के प्रसार की चेन को तोड़ा जा सके।
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