नई दिल्ली: कहते हैं सियासत में न कोई किसी का स्थाई दोस्त होता और न ही स्थाई दुश्मन। सियासी जरूरत और सत्ता का समीकरण नेताओं और पार्टियों को साथ आने और दूर जानें के लिए कब मजबूर कर दे कह पाना मुश्किल हैं। ऐसे में जब दो सियासी प्रतिद्वंदी एक साथ नजर आते है तो जाहिर है की कयास भी लगते है और अटकलों का बाजार गर्म होने लगता हैं।
फ़िलहाल जो कयास लग रहे हैं वह छत्तीसगढ़ प्रदेश की क्षेत्रीय पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) और देश की सबसे बड़े राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी को लेकर हैं।
दरअसल इन दिनों जनता कांग्रेस के सुप्रीमों और पूर्व विधायक अमित जोगी राजधानी दिल्ली के दौरे पर। ऐसे में यहाँ उन्होंने अप्रत्याशित तौर से भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार और देश के गृहमंत्री अमित शाह से भेंट की हैं। इस मुलाकात की जानकारी खुद अमित जोगी ने सोशल मीडिया पर साझा की हैं। हालांकि अमित ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया हैं लेकिन कयास लगाने जाने लगे हैं कि क्या अमित जोगी और उनकी पार्टी क्या नई सियासी जमीन तलाश रहे हैं? क्या अमिति जोगी भाजपा से गठबंधन कर रहे हैं या भगवा दल में पार्टी का विलय हो रहा हैं? वही ऐसे कयास की अपनी वजहें भी हैं। हर बार के नतीजों के उलट इस बार प्रदेश भर से जोगी कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया हैं। उनका कोई भी प्रत्याशी विधानसभा नहीं पहुँच पाया। राष्ट्रीय दलों की आंधी ऐसी चली कि कोटा से विधायक की प्रबल दावेदार रही डॉ रेणू जोगी को भी इस बार हार का सामना करना पड़ा। इसी तरह पाटन से खुद अमित जोगी तो अकलतरा से ऋचा जोगी की जमानत जब्त हो गई।
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