लोहड़ी का पर्व पंजाब, हरियाणा, दिल्ली जैसे राज्यों के बड़े त्योहारों में से एक है. लोहड़ी का त्योहार हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले यानि आज मनाया जाएगा. यह पर्व विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा. लोहड़ी के दिन रात को आग जलाई जाती है और उस आग के चारों ओर परिक्रमा कर उसमें तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी आदि चढ़ाई जाती है. इसके बाद परिवार के लोग और करीबी दोस्त, रिश्तेदार वगैरह मिलजुलकर ढोल-नगाढ़ों पर भांगड़ा और गिद्दा वगैरह करते हैं और एक दूसरे को लोहड़ी की बधाइयां देते हैं. इसके अलावा लोहड़ी का त्योहार किसानों के लिए भी बेहद खास माना जाता है. क्योंकि किसान अपनी नई फसल को आग में चढ़ाकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
लोहड़ी का पर्व फसल और मौसम से जुड़ा है. इस मौसम में पंजाब में किसानों के खेत लहलहाने लगते हैं और रबी की फसल कटकर आती है. ऐसे में नई फसल की खुशी और अगली बुवाई की तैयारी से पहले इस त्योहार को धूमधाम मनाया जाता है. इस दिन फसल की पूजा भी की जाती है. लोहड़ी के मौके पर ठंड का मौसम होता है, इसलिए आग जलाने का चलन कई सदियों से चला आ रहा है और इस आग में तिल, मूंगफली, मक्का आदि से बनी चीजों को अर्पित किया जाता है.
किसानों के लिए खास है पर्व
लोहड़ी फसल और मौसम से जुड़ा पर्व है. इस मौसम में पंजाब में किसानों के खेत लहलहाने लगते हैं. रबी की फसल कटकर आती है. ऐसे में नई फसल की खुशी और अगली बुवाई की तैयारी से पहले इस त्योहार को धूमधाम मनाया जाता है. इस दिन फसल की पूजा भी की जाती है. चूंकि लोहड़ी के समय ठंड का मौसम होता है, इसलिए आग जलाने का चलन है और इस आग में तिल, मूंगफली, मक्का आदि से बनी चीजों को अर्पित किया जाता है.
सूर्य देव 15 जनवरी को देर रात धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे इसलिए इस साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी. इससे एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाएगा. इसलिए इन शुभ मुहूर्त में ही लोहड़ी की विधि-विधान से पूजा करें.
लोहड़ी के लिए ये हैं शुभ मुहूर्त
सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक दोपहर 02 बजकर 15 मिनट से 02 बजकर 57 मिनट तक शाम 05 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 09 मिनट तक रात्रि 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
इन रस्मों के बिना अधूरा है लोहड़ी का पर्व
दुल्ला भट्टी की कहानी
लोहड़ी का त्योहार पंजाब में दुल्ला भट्टी की कहानी से जोड़ा जाता है. मुगल शासक अकबर के समय में दुल्ला भट्टी पंजाब में गरीबों के मददगार माने जाते थे. कहा जाता है कि उस समय लड़कियों को गुलामी के लिए बेचा जाता था. दुल्ला भट्टी ने ऐसी कई लड़कियों को मुक्त कराया था और उनकी शादी भी कराई थी.
धार्मिक आस्थाएं
लोहड़ी पर आग जलाने को लेकर मान्यता है कि यह आग राजा दक्ष की पुत्री सती की याद में जलाई जाती है. बहुत से लोग ये भी मानते हैं कि लोहड़ी का नाम संत कबीर की पत्नी लोई के नाम पर पड़ा. पंजाब के कुछ ग्रामीण इलाकों में इसे लोई भी कहा जाता है.
पौराणिक कथाएं
लोहड़ी की लेकर कई पोराणिक कथाएं भी प्रचलित हैं. कहा जाता है कि लोहड़ी होलिका की बहन थी. लोहड़ी अच्छी प्रवृत्ति वाली थीं, इसलिए उसे पूजा जाता है और उन्हीं के नाम पर लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है.
लोहड़ी के मौके पर करें ये काम
लोहड़ी के दिन गरीबों और जरूरमंदों को दान जरूर करना चाहिए. माना जाता है कि इस दिन गाय को उड़द दाल और चावल खिलाने से गृह क्लेश से छुटकारा मिलता है. ऐसा करने से परिवार में सुख-शांति का माहौल बना रहता है.
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