पटना :बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद)-कांग्रेस सहित विभिन्न दलों के ‘महागठबंधन’ को छोड़कर पिछले महीने भाजपा नीत राजग में वापसी करने के बाद बृहस्पतिवार को कहा कि मौजूदा गठबंधन ‘स्थायी’ है और यह ‘सैदव’ बना रहेगा। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष कुमार दिल्ली से लौटने के बाद पटना में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने दिल्ली प्रवास के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा सहित विभिन्न नेताओं से मुलाकात की।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उस गठबंधन में वापस आ गया हूं, जहां का मैं हूं, और जिससे मैं कुछ समय के लिए दूर था। अब मैं हमेशा के लिए यहीं रहने वाला हूं। हमारे संबंध स्थायी रहेंगे।’’ उनके पाला बदलने को आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा का संयुक्त रूप से मुकाबला करने के लिए विपक्ष द्वारा गठित ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया गठबंधन) के लिए झटका माना जा रहा है जिसके निर्माण में स्वयं उन्होंने मदद की थी। वह 1996 से भाजपा के सहयोगी रहे हैं। तब वह दिवंगत जॉर्ज फर्नांडीस की अध्यक्षता वाली समता पार्टी के साथ थे। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से उन्होंने पहली बार नाता 2013 में तब तोड़ा था जब गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को भाजपा ने राष्ट्रीय राजनीति में लाने का फैसला किया था।
कुमार की 2017 में दोबारा राजग में वापसी हुई जो पांच साल तक चली और उन्होंने 2022 में भाजपा पर उनकी पार्टी जदयू को कमजोर करने की कोशिश का आरोप लगाकर नाता तोड़ लिया। राज्य के सबसे लंबे समय मुख्यमंत्री का रिकॉर्ड कायम करने वाले कुमार बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा देने और विशेष आर्थिक पैकेज जैसी केंद्रीय मदद की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री से जब पूछा गया कि क्या उन्हें अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान इन विषयों पर कोई आश्वासन मिला है, तो उन्होंने सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा, ‘‘मैं 2005 से ही बिहार की प्रगति के लिए काम कर रहा हूं। चिंता का कोई कारण नहीं है। सभी मुद्दों पर चर्चा हुई है।
कुमार से जब पूछा गया कि क्या उनकी सरकार द्वारा 12 फरवरी को विधानसभा में पेश किए जाने वाले विश्वास मत को लेकर चिंता है क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष और राजद विधायक अवध बिहारी चौधरी ने राजग विधायकों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बावजूद इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने सभी आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा, ‘‘चिंता की कोई बात नहीं है। हर चीज पर चर्चा हुई है, मेरी पार्टी के भीतर और हमारे गठबंधन सहयोगियों के साथ भी।’’ उनके प्रमुख सहयोगी एवं जदयू के महासचिव संजय कुमार झा ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘‘आखिरकार यह एक संख्या का खेल है’’। पूर्व मंत्री झा भी कुमार के साथ दिल्ली दौरे पर गए थे। बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में राजग के कुल 128 विधायक हैं जो बहुमत के जादुई आंकड़े से छह अधिक हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के चार और एक निर्दलीय विधायक शामिल है।
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