जबलपुर : चुनावी बॉन्ड योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना बड़ा फैसला सुनाते हुए इसे असंवैधानिक करार दे दिया। इसके साथ SC ने इस योजना पर तत्काल रोक भी लगा दी है। कोर्ट की चार जज की बेंच ने इस योजना के खिलाफ सहमति जताते हुए न केवल रोक लगाई है, बल्कि एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से चुनावी चंदे की जानकारी सार्वजानिक को भी कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एसबीआई को चंदा देने वाले तमाम संगठन और बॉडीज की जानकारी इलेक्शन कमीशन को देनी होगी और इलेक्शन कमीशन उस जानकारी को पब्लिक डोमेन में यानी कि सार्वजनिक तौर पर सामने लाएगा।
विवेक तन्खा समेत कांग्रेस के नेता फैसले से गदगद
उच्चतम न्यायालय के फैसले से विपक्ष यानी कि कांग्रेस पार्टी गदगद है। कांग्रेस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला लोकतंत्र को बचाने वाला है। यह योजना रूलिंग पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई थी, जिससे न केवल विपक्ष बल्कि लोकतंत्र भी कमजोर हो रहा था। विवेक तन्खा ने कहा कि बेहद अच्छा फैसला है, जो लोकतंत्र के लिए बेहद जरूरी था।
कब, कैसे, क्या हुई सुनवाई
पिछले साल यानी नवंबर 2023 को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने मामले पर सुनवाई की थी। पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी.आर. गवई, जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की बेंच ने लगातार 3 दिनों तक दलीलें सुनने के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या थी याचिकाकर्ताओं की दलील
याचिकाकर्ताओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दलील पेश करते हुए कहा था कि चुनावी बॉन्ड योजना अनुच्छेद 19 (1) के तहत नागरिकों के सूचना के मौलिक अधिकार का हनन है, यह पिछले दरवाजे से लॉबिंग को सक्षम बनाती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है। साथ ही विपक्षी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर को समाप्त करती है। वहीं सरकार के पक्ष से पहले कर रहे या चीज कर्ताओं का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया था कि इस योजना का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में नकदी को कम करना है।
क्या है चुनावी बॉन्ड
चुनावी बॉन्ड की घोषणा 2017 के केंद्रीय बजट में की गई थी, जिसे लागू 2018 में किया गया था। यह मूल रूप से भारत में राजनीतिक दलों को चंदा देने की एक योजना है। यह एक किस्म का वित्तीय इंस्ट्रूमेंट है जिसके जरिये कोई भी राजनीतिक दलों को गुमनाम रूप से चंदा दे सकता है। इन पर कोई ब्याज भी नहीं लगता।
इस अमाउंट के है चुनावी बॉन्ड
ये बाउंड 1 हजार, 10 हज़ार, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ रुपयों में उपलब्ध हैं। इन्हें सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी (SBI) बैंक से ही खरीदा जा सकता है। चंदा देने वाले को बॉन्ड के मूल्य के बराबर की धनराशि एसबीआई की अधिकृत शाखा में जमा करवानी होती है। यह भुगतान सिर्फ चेक या डिजिटल प्रक्रिया के जरिए ही किया जा सकता है।
कौन खरीद सकता है बॉन्ड
बॉन्ड कोई भी व्यक्ति और कोई भी कंपनी खरीद सकती है। कोई कितनी बार बॉन्ड खरीद सकता है, इसकी कोई सीमा नहीं है। जिस पार्टी के नाम से बॉन्ड लिया गया है उसे 15 दिनों में इसे कैश कराना होता है, 15 दिनों के अंदर बंद को कैश न करने की स्थिति में यह राशि अपने आप प्रधानमंत्री कोष में चली जाती है।
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