राजस्थान में दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। राज्य सरकार के 1989 के इस कानून को अब सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिल गई है। इसे चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने कहा यह नियम भेदभावपूर्ण नहीं है।
जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और केवी विश्वनाथन की पीठ ने 20 फरवरी को एक आदेश में कहा कि राजस्थान सरकार का नियम नीति के दायरे में है। इसमें हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। पीठ ने राजस्थान हाई कोर्ट के 12 अक्टूबर 2022 के फैसले को बरकरार रखा और पूर्व सैनिक रामजी लाल जाट की याचिका खारिज कर दी।
कौन हैं याचिकाकर्ता?
याचिकाकर्ता पूर्व सैनिक रामजी लाल जाट हैं। उन्होंने जनवरी 2017 में रिटायरमेंट के बाद राजस्थान पुलिस में बतौर सिपाही शमिल किए जाने की मांग की थी। इसके लिए उन्होंने मई 2018 में आवेदन किया था। लेकिन उनका आवेदन राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 के तहत खारिज कर दिया गया, क्योंकि 1 जून 2002 के बाद उनके दो से अधिक बच्चे थे।
पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 के तहत एक जून 2022 के बाद पैदा हुए दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्ति को नौकरी देने से रोकता है।
पंचायत चुनावों में भी ऐसा है प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि इससे पहले पंचायत चुनावों के उम्मीदवारों के लिए भी ऐसा ही मामला सामने आया था। जिसमें परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए इसी तरह के नियमों को मंजूरी दी गई थी। 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने जावेद और अन्य बनाम हरियाणा राज्य मामले में आदेश को बरकरार रखा था।
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