जांजगीर चांपा : जिला जेल में इन दिनों सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। जेल प्रहरी ही कैदियों को उपचार के बहाने सारी सुविधाएं मुहैया कराने में लगी है।जबकि जेल में नियुक्त चिकित्सक द्वारा उपचार कराने की व्यवस्था होती है। उसके बावजूद जेलप्रहरी स्वयं कैदियों को उपचार कराने ले जा रहे हैं। अगर इस बीच कही कैदी जेल प्रहरियों के जगुल से भग गया तो किसकी जिम्मेदारी होगी।
ज्ञात हो कि जिला जेल कैदियों की स्वास्थ्य की जिम्मेदारी जेल में नियुक्त चिकित्सक की होती है। जिसके मुताबिक सामान्य बीमारियों जैसे सर्दी बुखार इत्यादि का उपचार उनके द्वारा किया जाता है। यदि बीमारी गंभीर हो और उसका उपचार जेल चिकित्सक द्वारा कर पाने में असमर्थ है तो जेल प्रशासन उसकी सूचना परिजनों को देकर जिला चिकित्सालय में उपचार कराया जाता है वहां भी जेल कैदियों के लिए विशेष डॉक्टर की नियुक्ति रहती है। जबकि ठीक इसके विपरीत इन दिनों जिला जेल में बीमारी को बहाना बना कर परिजनों से मिलवाने का खेल खेला जा रहा है। जहाँ जेल के कैदी को अस्पताल ले जाने के बहाने परिजनों से मिलाने अस्पताल ले जाया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक जेल चिकित्सक से सेटिंग कर के जिला अस्पताल रिफर भी करवा लेते है। इस तरह का पूरा मामला गत 3 मार्च शनिवार को खोखरा जेल से हत्या की धारा 302 के मामले में बंद कैदियों को जेल के तीन जवानों के द्वारा अस्पताल लाया गया । मगर जेल प्रहरियों की लापरवाही इतनी देखी गई कि किसी कैदी की हथकड़ी को हाथ से पकड़ कर नही रखा गया था और यहां तक परिजन एवं रिस्तेदारों से मोबाईल में बात कराने साधन उपलब्ध कराते नजर आ रहे हैं। इतना ही नही जब परिजन या कोई जान पहचान के लोग मिलने अस्पताल पहुंचते हैं तो फिर कैदी के लिए बाहर नास्ता मंगाया जाता है।
जेल जैसे संवेदनशील जगह में इस तरह की घोर लापरवाही जेल प्रहरी द्वारा बरती गई है, इस पर प्रशासन द्वारा किस तरह कार्यवाही की जाएगी या सबसे बड़ा सवाल है। क्या इस मामला को यूं ही छोड़ दिया जाएगा ? या इस पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी ।
जेल अधीक्षक श्री टोडर का कहना है कि कैदियों की तबियत बिगड़ी है तो हम सरकारी फोन से घर वालो को जानकारी देते हैं और अगर बंदी नार्मल बीमारी मे जिला अस्पताल जाता है तो उनको न तो परिजन खिला सकता है और न ही सिपाही। यह पूरी तरह लापरवाही है।
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