क्या इनकम टैक्स रिटर्न को लेकर आप भी असमंजस में हैं? जानिए किसमें मिलेगा ज्यादा फायदा?

क्या इनकम टैक्स रिटर्न को लेकर आप भी असमंजस में हैं? जानिए किसमें मिलेगा ज्यादा फायदा?

 मार्च का महीना शुरू हो चुका है और इस समय हर नौकरीपेशा व्यक्ति इनकम टैक्स रिटर्न को लेकर असमंजस में है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट-2023 में नया इनकम टैक्स स्लैब पेश किया था. जिसके बाद टैक्स भरने वाले लोगों को नए टैक्स स्लैब और पुराने टैक्स स्लैब में से किसी एक को चुनना होगा. ऐसे में जानिए कि दोनों में क्या अंतर है और दोनों में से किसे ज्यादा टैक्स बेनिफिट मिलेगा.

जानकारी के लिए बता दें कि 2020 में सरकार ने नया टैक्स स्लैब पेश किया था जो ज्यादातर आयकरदाताओं को पसंद नहीं आया था. इसी वजह से 2023 में नए टैक्स स्लैब में बदलाव किए गए. पहले 6 टैक्स स्लैब थे, उन्हें बदलकर 5 कर दिया गया. इसके साथ ही ऐलान किया गया कि 7 लाख रुपये की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं देना होगा.

पुरानी कर व्यवस्था का टैक्स स्लैब

इसके मुताबिक, अगर करदाता की सालाना सैलरी 2.5 लाख रुपये तक है तो कोई टैक्स नहीं देना होगा.

जो व्यक्ति हर साल 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक कमाता है उसे 5 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा.

अगर किसी नौकरीपेशा व्यक्ति की सालाना आय 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच है तो उसे 20 फीसदी तक टैक्स देना होगा.

अंत में अगर सालाना आय 10 लाख रुपये से ज्यादा है तो 30 फीसदी देना होगा.

नई कर व्यवस्था का टैक्स स्लैब

इसमें 2.5 लाख रुपये की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है.

अगर सालाना आय 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये के बीच है तो 5 फीसदी टैक्स लगता है.

5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक की सालाना सैलरी पर 10 फीसदी टैक्स लगता है.

7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की सालाना आय पर 15 फीसदी टैक्स लगता है.

10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये तक की सालाना सैलरी पर 20 फीसदी टैक्स देना होता है.

अगर किसी व्यक्ति की सालाना सैलरी 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये के बीच है तो उसे 25 फीसदी की दर से टैक्स देना होता है.

अंत में जब टैक्स देने वाले व्यक्ति की सालाना आय 15 लाख रुपये से ज्यादा हो तो उसे 30 फीसदी टैक्स देना होता है.

अब टैक्स कटौती की बात करें तो दोनों टैक्स व्यवस्थाओं में टैक्स कटौती का लाभ उठाया जा सकता है. नई कर व्यवस्था में आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत कोई छूट नहीं है. हालांकि, टैक्स चुकाने वाला व्यक्ति स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत 50,000 रुपये तक की टैक्स कटौती ले सकता है.

वहीं, अगर पुरानी टैक्स व्यवस्था की बात करें तो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट मिलती है. इसमें 1.50 लाख रुपये तक का टैक्स लाभ लिया जा सकता है.

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