सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डौण्डी लोहारा में "विश्व क्षय (TB)दिवस"मनाया गया

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डौण्डी लोहारा में "विश्व क्षय (TB)दिवस"मनाया गया

बालोद : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डौण्डी लोहारा में आज विश्व क्षय दिवस के अवसर पर सेमिनार का आयोजन किया गया

         इस अवसर पर डा० सिद्धार्थ भारद्वाज ने बताया कि बैक्टीरिया के कारण होने वाली टीबी के लक्षण इससे प्रभावित ज़्यादातर लोगों में दिखाई नहीं देते हैं. लक्षण सामने आने पर, उनमें खांसी (कई बार खून की), वज़न कम होना, रात को पसीना आना और बुखार शामिल हैं.

लोगों को यह अनुभव हो सकते हैं छाती छाती में दर्द होना खून के साथ खांसी आना पूरे शरीर में अच्छे महसूस ना होना थकान, पसीना आना, बुखार, भूख न लगना, या रात में पसीना यह सब टीवी के प्रारंभिक लक्षण है

श्री एस एल गंधर्व में बताया कि बलगम, बिना कारण वज़न में बहुत ज़्यादा कमी होना, मांसपेशी का नुकसान, सांस फूलना, बीज के आकार की ग्रंथियां जो पूरे शरीर में होती हैबुखार, 2 से 3 सप्ताह से अधिक समय तक चलने वाली खांसी, रात को पसीना आना, वजन कम होना, खांसी में खून आना, सीने में दर्द और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षणों के ट्यूबरक्लोसिस का संदेह हो सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि नाखूनों और बाल को छोड़कर शरीर के किसी हिस्से में भी टीवी हो सकता है

      डॉक्टर भंडारी ने सेमिनार में बताया कि शरीर में टीबी की बीमारी की शुरुआत माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती है. शुरुआत में तो शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन जैसे-जैसे यह संक्रमण बढ़ता जाता है, मरीज की परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं. जिन लोगों के शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उन्हें टीबी का खतरा ज्यादा रहता 

      डॉक्टर ने फैलने के पीछे का मुख्य कारण है हवा को बताया। खांसी, छींक, या फिर लार के द्वारा टीबी की समस्या एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। इस बैक्टीरिया का मुख्य कार्य हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाना है। यह रोग हमारे शरीर के उन भागों को प्रभावित करता है जहां खून और ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है।​जब कोई व्यक्ति सांस के माध्यम से टीबी के बैक्टीरिया को अंदर ले जाता है, तो बैक्टीरिया फेफड़ों में बस जाते हैं और बढ़ने लगते हैं। वहां से, वे रक्त के माध्यम से शरीर के अन्य भागों, जैसे कि गुर्दे, रीढ़ और मस्तिष्क में जा सकते हैं। फेफड़ों या गले में टीबी की बीमारी संक्रामक हो सकती है।

    व्यक्ति को टीबी हो तो परिवार के दूसरे में रोग के फैलने की काफी संभावना होती है। पर हमेशा ऐसा नहीं होता और टीबी के रोगाणु से हर कोई बीमार नहीं पड़ता ।  

     डॉक्टर ने आगे यह भी बताया कि टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) से लड़ने के लिए यह विटामिन बहुत जरूरी है। यह पोषक तत्व चीज़, अंडे, ऑयली फिश, दूध, योगर्ट आदि से भरपूर मिलता है। टीबी के मरीजों की डाइट में यह जरूर होना चाहिए।टीबी के मरीजों के लिए केला, अनाज दलिया, मूंगफली की चिक्की, गेहूं और रागी जैसे खाद्य पदार्थ काफी फायदेमंद होते हैं। इसलिए कोशिश करें कि पीड़ित व्यक्ति को ऐसा खाना दें जिससे उसके शरीर में भरपूर कैलोरी पहुंचे जो उसके शरीर के लिए ताकत का स्त्रोत बन सकें।टीबी के मरीज और उसके संपर्क में रहने वालों को अगर हर दिन चावल, दाल और सत्तू युक्त आहार दिया जाए तो उनमें इस बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता नींबू, आंवला, संतरा, आम, अमरूद जैसे फलोंं में कई तरह के विटामिन्स और पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो इन मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद हैं। अगर आप टीबी की समस्या से जूझ रहे हैं, तो चाय व कॉफी का सेवन बंद कर, ग्रीन टी पीने की आदत डालें। जो टीबी के इलाज में बेहद कारगर है।

        चीनी, सफेद ब्रेड और सफेद चावल जैसे परिष्कृत उत्पादों को सीमित करें। उच्च वसा, उच्च कोलेस्ट्रॉल वाले लाल मांस से बचें !

     सभी डॉक्टर्स ने यह भी बताया कि टीवी एक इलाज होने वाली बीमारी है जो समय रहते पता चल जाए तो तीन से 6 माह और ज्यादा से ज्यादा साल भर के अंदर बिल्कुल ठीक हो जाता है सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केदो में इसकी दवाइयां मुफ्त में उपलब्ध है तब पीड़ित इंसान स्वास्थ्य लाभ के बाद सामान्य रूप से आम इंसानों की तरह जीवन व्यतीत कर सकता है

     आज के इस कार्यक्रम में सभी डॉक्टर्स डा० पी के घनेन्द्र डॉक्टर भंडारी ,डॉक्टर सिद्धार्थ भारद्वाज ,रुरल मेडिकल ऑफिसर झनक देवांगन, डा० भूषण भोयर,डॉक्टर साहू,डॉ० दिलीप ठाकुर डॉ०वैभव ठाकुर स्टाफ के सुरेंद्र खरे,युवराज साहू,सी.बी.रात्रे परमेश्वर साहू भूपेश खेमराज साहू श्रीमती अनामिका रात्रे श्रीमती लक्ष्मी भूआर्य श्रीमती निर्मला पांडेय मीरा भोयर अन्नी वर्गिस मोनिका साहू लोकेश धुर्वे STS राकेश ठाकुरSUP दिनेश चंद्र खरकवार बीपीएम खास तौर पर उपस्थित थे श्री रूपेश श्रीवास्तव एल एम टी ने कार्यक्रम का सफलता पूर्वक संचालन किया 

इस कार्यक्रम मे मरीजो के साथ उनके परिजन भी काफी संख्या में उपस्थित थे

You can share this post!


Click the button below to join us / हमसे जुड़ने के लिए नीचें दिए लिंक को क्लीक करे

Comments

  • No Comments...

Leave Comments