परमेश्वर राजपूत, गरियाबंद/छुरा : होली का त्यौहार एक ऐसा पर्व है जिसमें बड़े, छोटे, बच्चे, बुढ़े सभी एक रंग में रंग जाते हैं। लोग अपनी छोटी मोटी आपसी मनमुटाव सभी को छोड़कर मिल जुलकर इस पर्व मनाते हुए होली के रंग में सराबोर हो जाते हैं। वहीं ग्रामीण अंचलों में आज भी मांदर और ढोलक की धुन में रास नृत्य करते नजर आते हैं।
आपको बताते चलें कि होली की रात गांवों में पुजा अर्चना कर होलिका दहन करते हैं वहीं कई गांवों में होलिका दहन की अंगारों पर चलने की परंपरा को भी निभाते हैं तत्पश्चात होली की टीम नगाड़े बजाते हुए सभी चौराहे पर जाते हैं जिन्हें सभी मुहल्ले में चावल, पैसा दान के रूप में देते हैं। वहीं रंग खेलने के बाद नहा धोकर रास नृत्य की तैयारी कर रास नृत्य की टीम बाजे गाजे के साथ ग्राम के सभी घरों में जाते हैं और नृत्य करते हैं,जो देर रात तक चलती है।
आज भी ग्रामीण अंचलों की होली पर्व की परंपरा और आस्था व रिति रिवाज वाकई मन मोह लेता है।
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