पापमोचनी एकादशी कब है, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और महत्व

पापमोचनी एकादशी कब है, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और महत्व

हिन्दू धर्म में पापमोचनी एकादशी का व्रत करना बहुत ही शुभ माना जाता है. इस साल 2024 में पापमोचनी एकादशी 05 अप्रैल को पड़ रही है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा करते हैं जो भक्त इस दिन का उपवास रखते हैं. उनके ऊपर श्री हरि की विशेष कृपा बनी रहती है और घर परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इसके अलावा जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है.

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 अप्रैल 2024 गुरुवार को शाम 4 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी. यह अगले दिन शुक्रवार 5 अप्रैल 2024 को दोपहर 1 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार यह पापमोचनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को ही रखा जाएगा.

पापमोचनी एकादशी पूजा विधि

पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें.

अपने घर और पूजा घर को अच्छी तरह साफ करके एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें.

भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं और पीले फूलों की माला चढ़ाएं. इसके बाद हल्दी या गोपी चंदन का तिलक लगाएं.

भगवान विष्णु को पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाएं और भगवान विष्णु का ध्यान करें.

पूजा में तुलसी के पत्ते अवश्य शामिल करें और आरती के साथ पूजा समाप्त करें.

अगले दिन पूजा के बाद प्रसाद के साथ अपना व्रत खोलें.

इस मंत्र का करें जाप

ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।

पापमोचनी एकादशी व्रत पूजन सामग्री

पापमोचनी एकादशी पर श्री हरि विष्णु की पूजा में मूर्ति, पुष्प, पुष्पमाला, नारियल, सुपारी, अनार, आंवला, लौंग, बेर, अन्य ऋतुफल, धूप, गंगाजल, पीले पुष्प, पीला चंदन और पीले रंग की मिठाई अवश्य शामिल करें.

पापमोचनी एकादशी व्रत का महत्व

पापमोचिनी एकादशी का व्रत आरोग्य, संतान प्राप्ति और प्रायश्चित के लिए हर साल किया जाता है. इस व्रत को करने से सभी प्रकार की मानसिक समस्या दूर हो जाती हैं. इसके साथ ही यह व्रत व्यक्ति को उसके पापों से छुटकारा दिलाता है. धार्मिक मान्यता है कि एकादशी का व्रत करने से हवन, यज्ञ और वैदिक कर्म-कांड से भी अधिक फल मिलता है.

 

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