नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन माता कालरात्रि की पूजा का विधान है। माता को शुभंकरी नाम से भी जाना जाता है। जो भक्त माता की विधि-विधान से पूजा करते हैं उनको माता भय से मुक्ति दिलाती हैं साथ ही सभी कष्टों को भी दूर करती हैं। मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए आपको सप्तमी तिथि के दिन क्या करना चाहिए, पूजा की विधि क्या है और माता की उपासना से कैसे फल प्राप्त होते हैं, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
नवरात्रि के सातवें दिन ऐसे करें माता कालरात्रि की पूजा
माता कालरात्रि की पूजा से पहले आपको स्नान-ध्यान कर लेना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल पर माता की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। तत्पश्चात माता के समक्ष घी का दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाने के बाद माता को अक्षत, चंदन, रोली आदि अर्पित करें, साथ ही रात की रानी के फूल भी आप मां को चढ़ा सकते हैं। माता को भोग के रूप में गुड़ से बनी चीजें आपको अर्पित करनी चाहिए, माता को गुड़ से बनी चीजें अतिप्रिय हैं। पूजा के दौरान आपको माता के मंत्रों का जप भी करना चाहिए, इसके साथ ही दुर्गा सप्तशती का पाठ भी आप कर सकते हैं। अंत में माता की आरती आपको करनी चाहिए।
माता कालरात्रि को इन मंत्रों से करें प्रसन्न
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
माता कालरात्रि प्रसन्न होने पर देती हैं ऐसे फल
माता कालरात्रि का स्वरूप अति भयानक है। ऐसा माना जाता है कि काल भी माता कालरात्रि से घबराता है। लेकिन माता अपने भक्तों पर हमेशा कृपा बरसती हैं। माता दुष्टों का नाश करने वाली हैं लेकिन अपने भक्तों पर हमेशा शुभ और ममतामयी दृष्टि बनाए रखती हैं इसलिए माता को शुभंकरी के नाम से भी जाना जाता है। जो भी व्यक्ति माता कालरात्रि की पूजा करता है उसे समस्त भयों से मुक्ति मिलती है। अगर आपको किसी भी प्रकार का भय है तो माता की पूजा करने से दूर होता है। माता की पूजा से शत्रुओं का भी नाश होता है। माता की साधना से भक्तों को भविष्य देखने की भी शक्ति प्राप्त हो सकती है। जो लोग तंत्र-मंत्र की साधना कर रहे हैं उनको भी माता की पूजा से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं। साथ ही योग साधना के मार्ग पर अग्रसर लोगों को भी माता की पूजा से अच्छे अनुभव प्राप्त हो सकते हैं।
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