परमेश्वर राजपूत,गरियाबंद : शहर के भिलाई ग्राम स्थित वृद्धाश्रम में रह रहे एक बुजुर्ग महिला की मौत पर के बाद जहां एक ओर उनके परिजनों का हो कर भी ना होने के जैसा रहा वहीं बुजुर्ग की मौत के बाद भी कोई उनकी खबर लेने भी नहीं पहुँचा इसके बाद वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों और शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं भावेश सिन्हा , प्रकाश सोनी , आकाश तिवारी , खीरसिंह यादव , , नवीन सिन्हा , आयुष सोनी कोमल साहू आश्रम के परिवार कर्मचारी एवं ग्रामवासियों ने ले जाकर दाह संस्कार किया। बताया जाता है कि कुछ दिनों से बुजुर्ग मीरा साहू की तबियत खराब चल रही थी, जिसके बाद रविवार सुबह उनकी मौत हो गई।
एक अपील ये वृद्ध आश्रम नहीं जीवन की पाठशाला है जिनका कोई नहीं उनका अपनों बनो अच्छा लगता है- प्रकाश सोनी
समाजिक कार्यकर्ता प्रकाश सोनी ने इस खबर को जैसे ही अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया उनके समर्थकों की और मित्रों के फ़ोन आने लगे और सभी एक जगह इकट्ठा हो गए प्रकाश सोनी ने सभी को बताया कि बुजुर्ग महिला जिनका अब इस दुनिया में कोई नहीं वो वृद्ध आश्रम में रहा करती थी उनके अंतिम संस्कार पर हम सबको परिवार समझ कर चलना है और पूरे रीतिरिवाज के साथ उनका अंतिम संस्कार करना है और सभी मित्रों और ग्रामवासी के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। प्रकाश ने नगरवासियों से एक अपील भी की है उन्होंने कहा आप सभी अपने बच्चों को अपने जीवन संगिनी और पूरे परिवार को ज़रूर एक बार वृद्ध आश्रम ज़रूर लाए यहाँ उनका जन्मदिन मनाए सालगिरह इनके साथ मानए ये आपसे कुछ नहीं चाहते हा इतना कह सकता हूँ आपको आशीर्वाद ज़रूर मिलेगा ये कर के देखिए मन को अच्छा लगता है, ये सिर्फ़ एक वृद्ध आश्रम नहीं पूरी ज़िंदगी की पाठशाला है यहाँ हमें आकर महसूस होता है हमारे माँ बाप हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण है जब एक पिता पने बच्चे के पहले कदम चलने पर अपनी उँगलियों का सहारा देता है वही बेटा अपने माँ बाप के अंतिम कदम पर क्यों साथ नहीं देता आज एक बुजुर्ग महिला की मौत हो गई उनके परिजन नहीं मिले हम सबने मिलकर उनका अंतिम संस्कार किया है पर ये समाज के लिए ज़रूरी है जानना अपने माता पिता की महत्व हमारी ज़िंदगी में क्या है।
पहले के समय में हर घर में बड़े बुजुर्गों को बहुत ही सम्मान दिया जाता था। उनसे हर बात पर परामर्श लिया जाता था और उन्हें घर में भगवान के आशीर्वाद के रूप में समझा जाता था। लेकिन बदलते समय के साथ भारत में बहुत सो सामाजिक बदलाव आए हैं।अंत में, वृद्धाश्रम कुछ लोगों के लिए आशीर्वाद हो सकता है, जबकि अन्य लोगों के लिए यह एक अभिशाप हो सकता है।
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