रायपुर: छत्तीसगढ़ में इस साल लगातार एक के बाद एक मुठभेड़ों में नक्सलियों को भारी नुक़सान पहुँचा है। यही वजह हैं कि दनादन मुठभेड़ में नुक़सान उठाने के बाद नक्सली ख़ौफ़ में देखे जा रहे हैं। वे अब सरकार से बातचीत करना चाहते हैं नक्सली। ऐसा हम नहीं बल्कि खुद नक्सली ही कह रहे हैं।
दरअसल नक्सलियों की दण्डकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प ने एक प्रेस नोट जारी किया है। जारी किए गए प्रेस नोट में माओवादियों ने संगठन की ओर से वार्ता को लेकर दिए गए बयान का सरकार की ओर से अभी तक सीधा जवाब नहीं देने की बात लिखी। माओवादियों ने अपने प्रेस नोट में लिखा है ‘आदिवासियों के नरसंहार में तेज़ी आई है।’ माओवादी नेता ने कहा कि इसका सीधा मतलब वार्ता के नाम से जनता को दिग्भ्रमितकरने की कोशिश है।
माओवादी नेता विकल्प ने कहा, आज का माहौल यह बता रहा है की सरकार वार्ता के प्रति बेईमान है और वार्ता को झूठ बताया है। हम मानवाधिकार संगठनों व जनवादी पत्रकारों से अपील करते हैं कि इस नरसंहार को रोकने व वार्ता के लिए अनुकूल वातावरण निर्मित करने सरकार पर दबाव डालें।
माओवादी नेता ने अपने इस प्रेस नोट में जनवरी से लेकर इस वर्ष अब तक 107 लोगों की हत्याएं करने का आरोप भी सरकार पर लगाया है और कहा कि अब तक कुल 27 घटनाओं को अंजाम दिया गया है। इन 27 में 18 घटनाओं को झूठी मुठभेड़ का आरोप लगाया गया है। सरकार ने अभी तक प्रतिक्रिया नहीं दी हैं। माओवादियों के इस प्रेस नोट के बाद छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है। जबकी इससे पहले प्रदेश के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कई बार नक्सलियों से वार्ता की बात की जा चुकी है। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि आखिर बातचीत की पहल किस ओर से शुरू होती हैं? इसका कोई परिणाम निकलता हैं या बस्तर में नक्सली-पुलिस मुठभेड़ का यह दौर जारी रहता हैं।
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