रायपुर: प्रदेश की सत्ता में काबिज होने के बाद से विष्णुदेव साय सरकार ने पूर्ववर्ती भूपेश सरकार की भूपेश सरकार की ओर से की गई व्यवस्थाओं में बदलाव किया है। बदलाव की इस कड़ी में साय सरकार ने एक और व्यवस्था में बदलाव करते हुए कहा है कि ‘न कोई गड़बड़ न घोटाला – छत्तीसगढ़ सरकार में ईमानदारी का बोलबाला’। इस बारे में सीएम साय ने अपने अधिकारिक X अकाउंट पर जानकारी दी है।
मिली जानकारी के अनुसार विष्णुदेव सरकार ने कोयला सहित अन्य खनिजों के परिवहन के लिए ऑनलाइन ई-ट्रांजिट पास व्यवस्था की फिर से शुरुआत की है। इससे पहले भूपेश सरकार ने ऑनलाइन की जगह मैनुअल ट्रांजिट पास जारी था, जिसके बाद 540 करोड़ रुपए के कोल घोटाले का मामला सामने आया था। कोल घोटाला मामले में छत्तीसगढ़ के कई नेता और अफसर ईडी के राडार में हैं और कुछ अफसर सलाखों के पीछे हैं।
सीएम साय ने X पर ट्वीटकर लिखा है कि अब न कोई गड़बड़ न घोटाला – छत्तीसगढ़ सरकार में ईमानदारी का बोलबाला …। खनिज परिवहन व्यवस्था में पारदर्शिता आने से राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। आठ फरवरी 2024 को मुख्यमंत्री साय ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कोल परिवहन की एनओसी और परमिट के लिए आनलाइन प्रक्रिया करने की घोषणा की थी।
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के अनुसार पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान कोयला परिवहन में 540 करोड़ रुपए के घोटाले का राजफाश हुआ है। शासन की अनुमति के बिना ही भौमिकी एवं खनिकर्म विभाग के तत्कालीन संचालक समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई को 2020 को आदेश जारी कर ऑनलाइन परमिट की प्रचलित व्यवस्था को ख़त्म कर ऑफलाइन कर दिया था।
इस प्रक्रिया के कारण भ्रष्टाचार और अवैध उगाही को बढ़ावा मिला था। ईडी ने मामले में जांच के बाद न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया है। संचालक बिश्नोई अभी जेल में है। कोल परिवहन में भ्रष्टाचार और अवैध उगाही करने के मामले में ईडी के प्रतिवेदन के आधार पर राज्य के आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने भी 30 व्यक्तियों के खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज की थी।
कोल परिवहन की एनओसी और परमिट के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया होने से व्यवस्था पूरी तरह से पारदर्शी हो जाएगी। इसमें में किसी भी तरह के अवैध परिवहन व वसूली पर अंकुश लगेगा। न सिर्फ कोयला, बल्कि अन्य खनिजों में पारदर्शी व्यवस्था होने से सरकार के राजस्व में वृद्धि हो सकेगी। प्रदेश में खनन गतिविधियों में आनलाइन सहित अन्य तकनीकी व्यवस्था का भी समावेश हो सकेगा। खनिज विशेषज्ञों के अनुसार राज्य सरकार का यह फैसला प्रदेश के लिए खनिज के माध्यम राजस्व के पारदर्शी स्रोत बढ़ाने और इसमें वृद्धि करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
क्या है कोल घोटाला मामला
ईडी के मुताबिक पूरा मामला जुलाई 2020 से जून 2022 के बीच का है। कोल परिवहन में कोयला एजेंसियों से प्रति टन 25 रुपये कमीशन वसूलने का आरोप है। ये वूसली सिंडीकेट करता था, सिंडीकेट के लोगों के नाम पर ही एफआइआर हुई है। एफआईआर में दर्ज नेताओं, अफसरों के सिंडिकेट ने 540 करोड़ रुपए की अवैध लेवी वसूल की है। जिसमें लगभग 296 करोड़ की अवैध लेवी के बंटवारे की जांच ईडी कर रही है। बाकी बचे 244 करोड़ की लेवी की भी जांच होनी है। ईओडब्ल्यू ने भी 40 से अधिक कारोबारियों के नामों को शार्ट लिस्ट किया है, जल्द ही उनसे पूछताछ की जाएगी।
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