सनातन धर्म की जीवन पद्धति पूरी तरह योग मय  :  मोरजध्वज देवांगन

सनातन धर्म की जीवन पद्धति पूरी तरह योग मय  :  मोरजध्वज देवांगन

 

 

राजनांदगांव  :  भाजपा के युवा व दबंग नेता मोरजध्वज देवांगन ने कहा कि सनातन धर्म जिसे हिंदू धर्म भी कहते हैं कि जीवन पद्धति पूरी तरह योग में है। बीच के समय में लोग योग को लगभग भूल ही गए थे। यह तो राजनीतिक हस्तक्षेप से लोगों के ध्यान में आया और लोग अनुलोम विलोम श्वसन भुजंगासन यह सब करने लगे वास्तव में योग हर रोज हर समय करना है। आत्मा को परमात्मा से जोड़े रखना सबसे बड़ा योग है। सुबह उठकर बिस्तर पर से भूमि वंदन स्नान ध्यान करके सूर्य नमस्कार करना आदि सब योग के श्रेणी में आता है। श्री देवांगन ने आगे कहा कि अखिल ब्रह्मांड में श्री कृष्णा जो विष्णु के अवतार थे। जो सबसे बड़े योगी माने जाते हैं जिन्हें महायोगी भी कहते हैं उनसे प्रेरणा लेकर योग को बहुत अच्छी तरह समझा जा सकता है। योग को समझना है तो हमें गीता में उतरना होगा। जिसमें सभी 18 अध्याय पढ़ समझ कर योग को जीवन में भाली भांति उतर जा सकता है। योग सफल जीवन की कुंजी है इसे नहीं भूलना चाहिए। योग हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति है।

हमारे आस पास ऐसे अनेक कारण विद्यमान है जो तनाव थकान, तथा चिड़चिड़ापन को जन्म देते है जिससे हमारी जिंदगी अस्त व्यस्त हो जाती है। ऐसे में जिंदगी को स्वस्थ तथा ऊर्जावान बनाए रखने के लिए योग एक ऐसी रामबाण दवा है जो माइंड को कुल और बॉडी को फिट रखता है। आज हम दसवां अंतर्राष्टीय योग दिवस मनाए है। 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए भारत के पीएम मोदी ने विश्व समुदाय से योग दिवस मनाने का आव्हान किया। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 सदस्यो ने रिकॉर्ड 177 सह समर्थक देशों के साथ 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का संकल्प सर्व सम्मति से अनुमोदित कर दिया। योग केवल रोगों को दूर करने की प्रक्रिया नहीं है। आशय शरीर के समस्त रोगों को दूर कर मस्तिष्क को तनाव मुक्त कर मन को पवित्र बनाकर आत्मा का ईश्वर से संबंध स्थापित करना है।

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